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समाजवादी पार्टी बिहार में अकेले लड़ेगी विधानसभा का चुनाव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी बिहार विधानसभा का चुनाव अपने बलबूते लड़ेगी। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में आज लखनऊ में हुई सपा संसदीय दल की बैठक में इसका निर्णय लिया गया। इसके के साथ ही पार्टी ने बिहार में महागठबंधन से अपने को अलग कर लिया है। पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव अकेले या दूसरे दलों के सााथ चुनाव लडऩे का फैसला किया है।

आज पार्टी की संसदीय दल की बैठक के बाद पार्टी के महासचिव राम गोपाल यादव ने बताया कि हम अपनी पार्टी के महागठबंधन के विलय के पक्ष में नहीं थे। जनता परिवार को जोड़कर एक पार्टी में शामिल होने का मतलब था कि हम अपनी पार्टी के डेथ वारंट पर साइन कर देते। उन्होंने कहा कि हमें पता था कि जनता परिवार दल बनने के बाद भी समझौता नहीं हो पाता, तब पार्टी से अलग होते तो हम कहां जाते। उन्होंने नीतीश कुमार के साथ लालू यादव पर आरोप लगाया। राम गोपाल ने कहा दोनों ने गठबंधन धर्म का पालन नहीं किया। उनके रवैये से समावादी पार्टी ने अपने को काफी अपमानित महसूस किया है।

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने लखनऊ में पार्टी की संसदीय दल की बैठक के बाद बिहार विधानसभा में चुनाव के मद्देनजर बने महागठबंधन से नाता तोडऩे का ऐलान करते हुए कहा है कि हमें जितनी सीटें मिल रही थी उससे ज्यादा जीतेंगे। हम बिहार में अपनी क्षमता के मुताबिक सीट की मांग कर रहे थे। आज बैठक में बिहार के प्रभारी किरनमय नंदा के शामिल न होने पर उन्होंने कहा कि वो कोलकाता में अपने घरेलू कार्यक्रम में हैं।

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने कहा कि बिहार में पार्टी में गठबंधन से बाहर निकलने को लेकर काफी जोरदार आवाज भी उठ रही थी। इसके अलावा टिकट बंटवारे पर पार्टी के बिहार के पदाधिकारी काफी नाराज थे। आज की बैठक के बाद तय हो गया था कि सपा आज आर या पार का निर्णय लेने वाली है।

प्रोफेसर राम गोपाल ने कहा कि सपा ने बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर कोई आकलन भी नहीं किया था। सीटों के बंटवारे के बारे में भी किसी की राय नहीं ली गई थी। इसी कारण से सपा का महागठबंधन में विलय नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बिहार में हमको जितनी सीटें महागठबंधन दे रहे है, उससे कई गुना जीतेंगे। उन्होंने कहा अब गठबंधन टूटने का कौन जिम्मेदार मैं नहीं जानता। राम गोपाल ने कहा कि हमको बिहार में सिर्फ पांच सीट देकर सपा को अपमानित किया गया। पार्टी अब बिहार में पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी।

उन्होंने कहा कि सीटों पर फैसला करने से पहले वार्ता करते। बिना किसी से बात के ही सीटों का बंटवारा करना गठबंधन धर्म का पालन नहीं है। अब पार्टी के बिहार के अध्यक्ष रामचंद्र यादव प्रत्याशियों का नाम फाइनल होने पर घोषणा करेंगे। उन्होंने इसका भी संकेत दिया कि बिहार में जरूरत पडऩे पर अन्य दलों से बात भी करेंगे।

राम गोपाल ने कहा कि महागठबंधन पर हम हर तरीके से तैयार थे, लेकिन हमको बिना बताए ही सीटों का फैसला हो गया, सभी को काफी नागवार लगा। इससे पहले भी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर लखनऊ में समाजवादी पार्टी की संसदीय दल की बैठक एक सितंबर को थी, लेकिन बैठक टल गई।

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव बिहार में समाजवादी पार्टी को मिली सिर्फ पांच सीटों से काफी नाराज थे। इनको तो गठबंधन से सिर्फ तीन सीट दी थी, लेकिन राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने कोटे से दो सीट देकर इनकी संख्या को पांच किया। पार्टी को सीट के मामले में बिहार के समाजवादी पार्टी के कई नेता मुलायम पर गठबंधन तोडऩे का दबाव बना रहे थे। मुलायम सिंह की दुविधा यह थी कि कहीं उनके इस कदम से यह संदेश न चला जाए कि वो बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए तो ऐसा नहीं कर रहे हैं।

बिहार विधानसभा के लिए 243 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इसमें जेडीयू और आरजेडी ने 100-100 सीटें और कांग्रेस ने 40 सीटों पर चुनाव लडऩे का फैसला लिया है। बाकी बची हुई तीन सीटों के लिए जनता परिवार ने एनसीपी को चुनाव लडऩे के लिए आमंत्रित किया था। एनसीपी के मना करने पर इन तीन सीटों में लालू यादव के हिस्से की दो सीटें जोड़कर मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी को दे दी गईं। एसपी इतनी कम सीटें मिलने से नाराज थी। पिछले हफ्ते हुई महारैली में मुलायम सिंह यादव को जाना था, लेकिन उन्होंने शिवपाल यादव को भेजकर खुद को अलग कर लिया था।

‘महागठबंधन’ के सूत्रधार रहे सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से बिहार में सीटों के बंटवारे पर बात ही नहीं की गई। जब सीटों का बंटवारा सामने आया तो पार्टी को दर्शक की भूमिका में रखा गया। इससे नाराज पार्टी की राज्य इकाई ने विरोध जताया था और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को कड़े कदम उठाने के लिए भी कहा था। इस महागठबंधन में सीट बंटवारे से नाराज सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पटना के गांधी मैदान में आयोजित स्वामिभान रैली में न जाकर आपने इरादे बता दिए थे, हालांकि उस रैली में शिवपाल यादव को जरूर भेजा गया था, लेकिन सीट बंटवारे के बाद से ही सपा के अंदर इस गठबंधन को लेकर नाराजगी चल रही थी।

बिहार में कम सीट मिलने के मामले में बिहार सपा की इकाई महागठबंधन के नेताओं से कई बार विरोध दर्ज करा चुके थे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। माना जा रहा है सीटों के बंटवारे के इस खेल के पीछे लालू यादव का हाथ था। लालू राज्य में यादव वोट बैंक के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहते हैं, इसलिए वो समाजवादी पार्टी को वहां पर खास तवज्जो देने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन इस पूरे मामले में साफ हो गया है कि गठबंधन के नेता भले ही नीतीश हों लेकिन पूरी बागडोर लालू यादव के हाथ में है।

 

एन सी आर खबर ब्यूरो

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