नवरात्रि में मां भक्ति की आराधना की आड़ में बालीवुड के फूहड़ गानों से शोर मचाए डीजे पर जहां लोगो की आवाज उठ रही है वही बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार (30 सितंबर 2022) को कहा कि गरबा और डांडिया के लिए डीजे और लाउडस्पीकर की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा है कि नवरात्रि महापर्व में समाज देवी ‘शक्ति’ की पूजा कर रहा है, जिसे ‘एक बिंदु पर ध्यान’ लगाने की आवश्यकता है, जो कि शोर के माहौल में नहीं किया जा सकता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए एक खेल मैदान में आयोजित हो रहे नवरात्रि उत्सव कार्यक्रम में ध्वनि यंत्रों (डीजे, लाउडस्पीकर इत्यादि) पर रोक लगाने की माँग की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि उक्त खेल मैदान को ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के अंतर्गत ‘साइलेंट जोन’ के रूप में नामित किया गया है। यहाँ हो रहे कार्यक्रम से ‘साइलेंट जोन’ प्रभावित हो रहा है।
बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस सुनील शुक्रे और गोविंद सनप की बेंच ने कहा है, “डांडिया और गरबा एक धार्मिक उत्सव के आंतरिक अंग हैं। इसलिए, इन कार्यक्रमों को विशुद्ध रूप से पारंपरिक और धार्मिक तरीके से किया जा सकता है। इसमें संगीत प्रणाली, लाउडस्पीकर, डीजे और इस तरह के आधुनिक उपकरणों का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।”
कोर्ट ने आगे कहा कि अगर किसी भक्त की भक्ति के कार्य से दूसरों को जलन या अशांति होती है तो इसकी प्रतिक्रिया या दूसरों से भी अधिक व्यवधान की आशंका होती है। ‘डांडिया’ और ‘गरबा’ करना त्यौहार मनाने के पारंपरिक तरीकों में से एक है। इसे हिंदू धर्म के एक बड़े वर्ग द्वारा नवरात्रि महापर्व में देवी के प्रति अपनी भक्ति दिखाने का सबसे बड़ा साधन माना जाता है।
कोर्ट ने कहा, “नौ रातों तक जिसकी पूजा की जाती है वह ‘शक्ति’ का एक रूप है। शक्ति की देवी की पूजा तभी प्रभावी होती है जब यह पूजा बिना किसी समस्या के और आस-पास के वातावरण में रहने वालों के मन की अशांति और परेशानी पैदा किए बिना की जाती है।”