दिल्ली में राजेंद्र नगर सीट पर हुए उप चुनाव में आम आदमी पार्टी की जीत ने फिर से भारतीय जनता पार्टी की रणनीति और संगठन दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं भले ही भाजपा समर्थक इसे उप चुनाव में हुई हार बताकर अपना पल्ला झाड़ना चाहिए लेकिन जानकारों की माने तू 2020 चुनाव के बाद यह भाजपा की पहली हार नहीं है
भाजपा दिल्ली की सत्ता से लगभग दो दशक से ज्यादा समय से दूर है शीला दीक्षित की सरकार के समय भाजपा पर संगठन के कमजोर होने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन 2013 में आम आदमी पार्टी के उदय होने के बाद से लगातार भाजपा एक बार फिर से उस लक्ष्य को नहीं भेज पा रही है जिससे वह वापस सत्ता में आ सके 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी एमसीडी और विधानसभा की 6 सीटों पर अब तक हार चुकी है दिन में 5:00 पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली जबकि एक सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी ऐसे में एक बार फिर से दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता की कार्यशैली और संगठन पर उनकी पकड़ को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं
सवाल दिल्ली बीजेपी से एमसीडी चुनाव को लेकर भी खड़े हो रहे हैं माना जा रहा है कि बीजेपी सरकार ने तीनों एमसीडी का जो एक ही करण किया है वह काफी देर से किया है देर सवेर राजधानी में एमसीडी का चुनाव होना ही है ऐसे में उपचुनाव में मिली इस हार का कितना असर एमसीडी चुनाव में भाजपा को नुकसान पहुंचाएगा इसकी चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय संगठन ने अगर प्रदेश भाजपा की रणनीति में बड़ा फेरबदल नहीं किया तो विधानसभा के बाद दिल्ली कि एमसीडी भी भाजपा के हाथ से जा सकती है