ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण मे बीते दिनो igrs मे एक समाजसेवी द्वारा की गयी कथित 300 करोड़ के घोटाले की जांच मे कई बातें सामने आने लगी है I जानकारी के अनुसार नोएडा मे सेवाओ को ऑनलाइन करने ओर ईआरपी के इस्तेमाल के लिए भुगतान कार्य पूर्ण होने से पहले कर देने की शिकायत जिले के एक समाजसेवी राजेन्द्र कुमार ने की थी जिसकी जांच एसीईओ अदिति सिंह के आदेश पर सोम्य श्रीवास्तव कर रहे है
प्राधिकरण के सूत्रो की माने तो मामले मे अब जानकारी निकाल कर आ रही है कि जनरल मैनेजर प्लानिंग मीना भार्गव के बीते 2 सालो से ट्रांसफर के आदेश के बाबजूद पूर्व सीईओ द्वारा उनको रिलीव नहीं किया गया है I मीना भार्गव पर पूर्व सीईओ की ये क्रपा किस कारण थी इसकी भी जांच ज़रूरी है I जानकारी के अनुसार जनरल मैनेजर प्लानिंग मीना भार्गव के ट्रांसफर आदेश के समय पूर्व सीईओ नरेंद्र भूषण ने कहा था जब तक उनका उनके स्तर का दूसरा अफसर यहाँ नहीं आएगा तब तक वो उन्हे रिलीव नहीं करेंगे
ऐसे मे अब इस जांच मे आगे क्या निकाल कर आएगा ये तो जांच रिपोर्ट मे ही पता चलेगा लेकिन किसी खास अफसर को प्रशासन से ट्रांसफर आदेश के बाबजूद सीईओ द्वारा रोके जाने से भी कई सवाल खड़े हो रहे है जिनके जबाब फिलहाल भविष्य मे छिपा है
नए सीईओ कब होंगे पूर्ण कालिक ?
वहीं पूर्व सीईओ नरेंद्र भूषण की जगह मेरठ के कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ का अतिरिक्त भार दिया गया है I सुरेन्द्र सिंह अभी यहाँ सिर्फ 2 दिन बैठ रहे है ऐसे मे प्राधिकरण मे कामो पर उनका कितना असर हो रहाहै इसको लेकर भी सवाल उठ रहे है I ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के लिए पूर्ण कालिक सीईओ के ना होने से यहाँ शाशन स्तर पर नए कामो की योजनाए यहाँ के अधिकारियों पर ही निर्भर रह गयी है I
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ और मेरठ मंडलायुक्त सुरेन्द्र सिंह ने जन शिकायतों को हल करने के लिए सोमवार से शुक्रवार तक 3 एसीईओ की ड्यूटी लगाई है। इसके अनुसार प्रत्येक सोमवार को सुबह 10 बजे से 12 बजे तक एसीईओ दीप चंद्र प्राधिकरण के बोर्ड रूम में जन शिकायतें सुनेंगे। लेकिन एक पूर्ण कालिक अधिकारी ओर अतिरिक्त भार के अधिकारी को लेकर प्राधिकरण के लोगो मे तमाम चर्चाए है I प्राधिकरण मे लोगो का कहना है कि खुद सीईओ के अतिरित भार के कारण सीईओ भी शायद अतिरित दबाब मे होंगे क्योंकि आखिर ऐसे मामलो मे अधिकारी को भी पता होता है कि ऊंकों देर सवेर एक पर ही रहना होगा