श्रीचित्रगुप्त प्रकटोत्सव 08 मई 2022 वैशाख शुक्ल सप्तमी आज है सभी को भगवान श्री चित्रगुप्त के पुण्य पवित्र प्रकटोत्सव की अनंत अनंत मंगल मय शुभ कामनाएँ ॥
भगवान श्री चित्रगुप्त का सगुण सविशेष रूप आज ही के दिन से क्रियाँवय में आया ।परात्पर पर ब्रम्हसत्ता , न्यायब्रम्ह , ब्रम्हा विष्णु महेश तीनो की शक्तियों को प्रयोग करने वाले ऋषि , देवता , दानव , अवतारों को दंडित करने वाले यमलोम के स्वामी की साधना भक्ति गंगा सप्तमी को करे भगवान श्री चित्रगुप्त के उस दिव्याति दिव्य स्वरूप को सभी सनातनी जाने।
आइए इस तिथि को शास्त्र प्रमाण से समझते हे
आज ही के दिन भगवान इस धरा पर अवंतिका तीर्थ (उज्जैन) के पास (कायथा नामक ग्राम में ) इस धरा पर प्रकट हुए थे ।
इसका वर्णन आप (विष्णुपुराण ,प्रथम अंश ४१~४६ तक)मे पड़ सकते है
ब्रह्माजी जी द्वारा 1000 दिव्य वर्ष की तपस्या करने के उपरांत परात्पर न्यायब्रम्ह भगवान श्री चित्रगुप्तजी प्रगट हुए । 🙏
(प्रगट)का आशय यही है कि जो किसी उचे स्थान से नीचे की ओर आए इसी कारण वैशाख शुक्ल सप्तमी ही भगवान का प्रकटोत्सव मनाना शास्त्रीय है
महाभारत में भी भगवान श्री चित्रगुप्त के प्राकट्य गंगा सप्तमी को मिलने का एक प्रमाण ओंर मिलता हे
गंगापुत्र भीष्म को भी तपस्या उपरांत भगवान श्रीचित्रगुप्त जी ने प्रगट होकर इच्छामृत्यु का वरदान/आशीर्वाद दिया था तभी से प्रगटउत्सव गंगासप्तमी पर मनाने की प्रथा अनवरत चालू है
पद्मपुराण में भी वैशाख शुक्ल सप्तमी में भगवान श्री चित्रगुप्त जी के अवतरण का स्पष्ट उल्लेख है
हम सभी कायस्थ बन्धुओ को आज भगवान श्री चित्रगुप्त का पूजन अर्चन अवश्य करना चाहिए उत्सव महोत्सव करना चाहिए ॥
यं ब्रह्मा वरुणेन्द्र रुद्रमरुतःस्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवै
वेदै
साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो
यस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणा चित्राय तस्मै नमः॥
ब्रह्मा, वरुण, इन्द्र, रुद्र और मरुद्रण जिनका दिव्य स्तोत्रोंसे स्तवन करते हैं, सामगान करनेवाले लोग अङ्ग, पद, क्रम और उपनिषदोंके सहित वेदोंसे जिनका गान करते हैं, ध्यानमग्न एवं तल्लीनचित्तसे योगी जिनका साक्षात्कार करते हैं और जिनका पार सुर और असुर कोई भी नहीं पाते, उन भगवान् श्री चित्रगुप्त को नमस्कार है
नारायण नारायण
राघवेंद्ररविश राय गौड़
ज्योतिर्विद
राष्ट्रीय सह संयोजक
भगवान श्री चित्रगुप्त शोध चिंतन मंत्र लेखन अभियान (भारत)