
गैस कीमतों के निर्धारण को लेकर गठित सचिवों की चार सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय को सौंप दी है।
सूत्रों के मुताबिक समिति ने मंगलवार सौंपी अपनी रिपोर्ट में यूपीए सरकार द्वारा मंजूर गैस की दो गुनी कीमत से काफी कम महज 50 फीसदी बढ़ोतरी की सिफारिश है।
गैस की कीमत में इस बढ़ोतरी आने वाले दिनों में बिजली, यूरिया और सीएनजी के दाम बढ़ सकते हैं। पीटीआई के मुताबिक मोदी सरकार ने पिछले महीने ऊर्जा, उर्वरक वित्त मंत्रालय के सरकारी खर्च सचिव और पेट्रोलियम मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की सदस्यता वाली इस समिति का गठन किया था।
समिति से जनवरी 2014 में यूपीए सरकार द्वारा गैस की कीमत में दोगुनी बढ़ोतरी कर इसे 8.4 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमबीटीयू) करने की सिफारिश में संशोधन करने के लिए गैस की कीमत तय करने का नया फार्मूला तैयार करने को कहा गया था।
सूत्रों ने बताया है कि समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है और इस पर कैबिनेट नोट तैयार करके भेजने से पहले पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय इन सिफारिशों की अपने स्तर पर समीक्षा करेगा।समिति की ओर से की गई सिफारिशें अभी विस्तृत रूप से तो सामने नहीं आ पाई हैं, पर सूत्रों का बताना है कि पैनल ने गैस की कीमतों में करीब 50 फीसदी की बढ़ोतरी करने की सिफारिश की है।
गौरतलब है कि घरेलू स्तर पर उत्पादित प्राकृतिक गैस फिलहाल 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू की दर पर बेची जा रही है। सूत्रों के मुताबिक पैनल ने समन्वयात्मक रुख अपनाते हुए अपनी सिफारिशें तैयार की हैं।
इसमें गैस कीमतों को बाजार के अनुरूप रखने की कंपनियों की मांग पर भी ध्यान दिया गया है, ताकि भूमि और गहरे समुद्री दोनों ही क्षेत्र से गैस के उत्पादन की लागत के बीच संतुलन बनाए रखा जा सके।
दूसरी ओर उत्पादन में गैस का इस्तेमाल करने वाली बिजली और उर्वरक संयंत्रों की गुहार पर भी ध्यान दिया गया है कि वह गैस की 5 डॉलर प्रति यूनिट से ज्यादा ऊंची कीमत का बोझ उठा पाने की स्थिति में नहीं हैं।