आवारा कुत्तो को खाना देने के अधिकार देने वाले हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है । जस्टिस विनीत सरन और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने हाई कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ स्वयंसेवी संस्था ह्यूमन फाउंडेशन फॉर पीपल एंड एनिमल्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह रोक लगाई है बेंच ने एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और अन्य प्राइवेट रेस्पोंडेंट को भी निर्देश जारी किए है
पिटिशनर समाजसेवी संस्था का तर्क था कि कुत्तों को खाना खिलाने के अधिकार के मामले में हाईकोर्ट के निर्देश 2009 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं करता है जिसमे कहा गया था कि हाई कोर्ट 1960 एक्ट और एनिमल बर्थ बर्थ कंट्रोल रूल्स को लेकर कोई निर्देश पारित नहीं कर सकता है
संस्था की तरफ से वकील निर्देश दुबे ने कहा कि आवारा कुत्ते किसी के द्वारा मालिकाना हक में नहीं पाए जाते हैं वह बेहद आक्रामक हो सकते हैं लोगों और अन्य जानवरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं उसके कई कारण हो सकते हैं जिसमें भूख क्षेत्रीय अग्रेशन डर सुरक्षा जैसे कई मामले होते हैं जबकि पालतू कुत्तों के मामले में इन सब चीजों पर किसी एक व्यक्ति का कंट्रोल होता है या ऐसे कुत्ते मानव द्वारा निर्देशित किए जा सकते हैं ऐसे में आवारा कुत्तों को खाना खिलाने के अधिकार को सही ठहराना गलत है
शहर में आवारा कुत्तों को लेकर हो जाते झगड़े और केस
दिल्ली एनसीआर में आवारा कुत्ते समाज और सोसाइटी में एक बड़ी समस्या बन गए हैं यह लगातार शहर में रहने वाले मासूम बच्चे और महिलाओं बुजुर्गों पर हमला कर देते हैं जिसके कारण कई बार लोगों की मृत्यु हो जाती है इनके समर्थन में खड़े होने वाले लोग मनुष्यता का तर्क देते हुए इन्हें सोसायटी ओं में और सेक्टरों में रहने देने की वकालत करते हैं लेकिन इनके काटने पर यह हमला करने के बाद बोलो यह नहीं बता पाते कि इनके कारण जो मनुष्यता की हानि हो रही है उसका जिम्मेदार कौन है इन बातों को लेकर दोनों पक्ष लगातार एक दूसरे पर हाथापाई से लेकर पुलिस केस तक करने पर उतारू हो जाते हैं खुद पुलिस भी कई बार इन तथाकथित कुत्ता प्रेमियों के चलते मुसीबत में फंस जाती है जिसके कारण इस तरीके के आदेश की प्रतीक्षा काफी समय से की जा रही थी