आरटीआई से हुआ खुलासा, कोरोना में 370 लाख रुपए के बजट में सिर्फ 70 लाख हुए खर्च, नरेंद्र भूषण के तौर तरीको पर उठा रहे सवाल
कोरोना में जहां लोग सैनिटाइजेशन पूरी तरीके से ना होने के कारण परेशान हो रहे थे तो ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति कर रहे थे मीडिया में आई जानकारी के अनुसार तिलपता गांव निवासी सदाराम सिंह द्वारा आरटीआई में मांगी जाए सूचना से यह खुलासा सामने आया है आरटीआई में मिली जानकारी के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए संरक्षण पर जोर दिया था इसके लिए 2019 से 21 तक 370 लाख रुपए का भारी-भरकम बजट भी बनाया गया था मगर बजट के सापेक्ष 70 .60 लाख ही ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी द्वारा खर्च किए गए जबकि सैनिटाइजेशन के समय तमाम लोग परेशान थे कि उनकी सोसायटी और उनके गांव तरीके से सैनिटाइज नहीं किए जा रहे हैं जिसके कारण करुणा महामारी विकराल रूप धारण कर रही थी आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण को ही शासन ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सोचते हुए नोडल अधिकारी भी नियुक्त किया था ऐसे में इस समाचार के बाद लगातार ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों पर सवाल उठ रहे हैं
वही एक अखबार को दिए अपने स्टेटमेंट में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र सर ने कहा है कि बजट का प्रावधान सालाना होता है जबकि कोरोना सिर्फ कुछ महीने रहा ऐसे में सिर्फ आवश्यकता के अनुरूप सैनिटाइजेशन कराया गया और नरेंद्र भूषण के इसी दावे पर लगातार सवाल उठ रहे हैं क्योंकि जब कुछ महीनों में भी सोसाइटी और गांवों में सैनिटेशन की जरूरत थी तब भी इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ एक एक बार सबका सैनिटाइजेशन हुआ जबकि लोगों कोई डिमांड लगातार सोशल मीडिया पर फेसबुक पर ट्विटर पर संरक्षण के लिए आ रही थी अथॉरिटी के नाकारापन और संवेदनहीनता की स्थिति यह थी कि बाद में कुछ नेताओं ने खुद ही अपने गांव में सैनिताइजेशन करना शुरू कर दिया था अब जब आरटीआई के सवाल के बाद मिले जवाब से स्थिति स्पष्ट हो रही है तो सवाल यह भी उठ रहा है कि आखिर वह 370 लाख का बचा हुआ पैसा कहां गया
कोरोना की तीसरी लहर के लिए प्रशासन की क्या है तैयारी
दूसरी लहर के बचे हुए पैसे के बाद अब कोरो ना की तीसरी लहर के लिए ग्रेटर नोएडा अथॉर्टी की क्या तैयारी है इस पर अभी तक अथॉरिटी के अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं ओमनी क्रोन लगभग भारत के 12 राज्यों में आ चुका है गाजियाबाद के एक परिवार के जरिए इस ने उत्तर प्रदेश में भी दस्तक दे दी है ऐसे में क्या अथॉरिटी के अधिकारी एक बार फिर से सदन सैनिटाइजेशन अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं या फिर लोगों को बीमारी से खुद ही निबटने के लिए छोड़ दे रहे हैं