राजेश बैरागी I संपत्ति खरीद-बिक्री और निवास के मामले में देश के अग्रणी शहरों में गिने जाने वाले ग्रेटर नोएडा में प्राधिकरण की व्यवसायिक संपत्तियों को ग्राहक ढूंढे नहीं मिल पा रहे हैं। 35 दुकानों/कार्यालय व 20 क्योस्क की बिक्री के लिए निकाली गई योजना को चार महीने तक जारी रखने के बावजूद मात्र चार दुकानों के लिए आवेदन प्राप्त हो पाए हैं।
ग्रेटर नोएडा में जहां निजी भवन निर्माताओं के द्वारा बनाए गए शोपिंग कॉम्प्लेक्स में दुकानों, व्यवसायिक स्थलों तथा कार्यालयों की जगह की कीमतें आसमान छू रही हैं वहीं प्राधिकरण की ऐसी संपत्तियों को ग्राहक नहीं मिल पा रहे हैं। चार महीने पहले लाई गई 35 दुकानों व कार्यालय स्थलों तथा 20 क्योस्क की योजना औंधे मुंह गिर गई है। इस योजना में विभिन्न आवासीय तथा औद्योगिक सेक्टरों में बिक्री से बची लगभग एक दशक पुरानी संपत्तियां शामिल की गई थीं। ‘जैसी है जहां है’ के आधार पर इन संपत्तियों के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे। संपत्तियों की खस्ता हालत, आवेदन के साथ प्रोसेसिंग फीस के रूप में मोटी नॉन रिफंडेबल रकम और ई-ऑक्शन में निर्धारित संख्या (कम से कम तीन आवेदन) में आवेदन न आने पर नीलामी निरस्त होने की अव्यवहारिक शर्तों के चलते यह योजना धराशाई हो गयी है। कल 30 दिसंबर को योजना बंद होने तक केवल चार दुकानों के लिए निर्धारित संख्या में आवेदन प्राप्त हुए।इन दुकानों के लिए अब आगामी छह जनवरी को ई-ऑक्शन किया जाएगा।
( राजेश बैरागी नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक के संपादक है, एनसीआर खबर के संवाद सहयोगी हैं )