विधान सभा चुनाव से पहले पड़ रही दिवाली पर सभी राजनैतिक दलों के टिकट के जुगाड़ में लगे राजनेताओं ने पूरे गौतम बुध नगर में जगह जगह सड़को के किनारे अपने बड़े बड़े पोस्टर लगाने शुरू कर दिए है । इस सत्तारूढ़ और विपक्ष के सभी नेताओ के अलावा तमाम छुटभैये नेताओ के भी पोस्टर शामिल है
मजेदार बात ये है कि अवैध यूनीपोल को लेकर मुहिम चलाने वाले तमाम समाजसेवी और स्वयंभू नेता भी इस पूरे प्रकरण पर चुप है । ऐसे तमाम पोस्टर पर सभी राजनेताओं और स्माजसेवियो के समर्थन में पुलिस प्रशासन, नोएडा और ग्रेटर नोएडा अथार्टी की चुप्पी हैरान करने वाली है । ऐसा नहीं है कि चुनावी साला में पोस्टर पर कार्यवाही प्रशासन नही कर सकता है लेकिन प्रशासन हो या अथार्टी के अधिकारी सब सोशल मीडिया पर इन्ही राजनेताओं और समाजसेवियों के जरिए अपना फेसेविंग कर रहे है तो फिर ऐसे तमाम पोस्टर पर क्यों कुछ कहा जाए । भले ही इस फेसेविंग के लिए सरकार को कितने भी राजस्व का नुकसान हो। अथार्टी के अधिकारियों और नेताओ की साठ गांठ की सजा शहर की खूबसूरती पर भारी पड़ रहा है ।
समाचार पत्रों में कभी कोई खबर आ जाए तो कुछ जगह अथार्टी की टीम ऐसे पोस्टर को हटाने का दिखावा कर लेती है और कई बार जुर्माने की प्रेस रिलीज भी भेज देती है लेकिन आज तक कभी भी मीडिया को कितना जुर्माना लगाने के बाद सरकारी खाती। में जमा हुआ इसकी कोई जानकारी कहीं प्रकाशित नहीं होती है ।हालत है ये की जब सबको प्रचार के नाम पर पूरा शहर पोस्टर से पाट ही देना है तो फिर अधिकारी भी किस किस्से लड़ें। सत्ता पक्ष के ही तामा। मोर्चों और टिकट वाले नेता जब मुख्यमंत्री और जनप्रतिनिधियों की आड़ में प्रमोशन कर रहे हो तो फिर विपक्ष के नेता अपने बड़े पोस्टर क्यों न लगाए । बीते दिनों नोएडा में कुछ जगह पर विपक्ष के पोस्टर हटा कर इतिश्री कर ली गई थी लेकिन उसके बाद एक बार से पूरे जिले में पोस्टर का मुकाबला शुरू हो गया है ।
ऐसे में सवाल ये है कि सफाई के पर्व की आड़ में नेताओ के पोस्टर और प्रचार प्रेम की कीमत कब तक शहर को बर्बाद करेगी और कब तक दोनो अथार्टी इस पर चुप बैठेंगी या कुछ करेंगी ये देखने की बात रहेगी