ग्रेटर नोएडा की मिग्सन अल्टिमा सोसाइटी में 6 वर्षीय बच्ची को आपसी लड़ाई करते आवारा कुत्तों द्वारा गाल पर काटने के बाद पशु प्रेमियों द्वारा सोसाइटी के गार्डों पर ही एफ आई आर दर्ज कराने के बाद गौतम बुध नगर में नई बहस शुरू हो गई है लोगों का कहना है कि उन्होंने सोसाइटी में महंगे दामों पर फ्लैट इसलिए खरीदे ताकि वह अपने परिवार के साथ एक बेहतर जीवन जी सकें मगर पशुओं की वकालत करने वाले पशु प्रेमियों का तर्क है कि कुत्ते जहां पैदा हो जाते हैं वह उनका घर हो जाता है उनका दावा है कि सुप्रीम कोर्ट से लेकर तमाम कोर्ट और सरकारें इस नियम को मानने का आदेश देती है
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें मिग्सन अल्टिमा सोसाइटी में घायल बच्ची की मां पर दबाव बनाने के लिए पशु प्रेमी कुत्ते को लेकर वहां पहुंचे और उस बच्ची को बार-बार कुत्ते को दिखा कर पूछ रहे हैं कि इससे पूछो कि इसको को दर्द होता तुम्हारी बच्ची तो बोल सकती है पर ये बोल नही सकता है वीडियो के बाद लोगों का कहना था कि पशु प्रेमियों को 6 से 8 साल तक जीने वाले इस कुत्ते की ज्यादा फिक्र है लेकिन 80 साल तक जी सकने वाली उस बच्ची के लिए रेबीज हो जाए या वह सारी जिंदगी कुत्तों से डरने लगे उसकी चिंता नहीं है
सोशल मीडिया पर चंदन सेठ लिखते है कि कुत्ता ही क्यों मच्छर मक्खी मुर्गा बकरी सबको सोसाइटी में आने दिया जा और उनके खाने पर भी बैन लगाया जाए क्योंकि वह भी प्रकृति की रचना हैं फिर तो सारी मीट शॉप बंद की जाए
एक अन्य यूज़र द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के हवाले से कुत्तों को खाना देने के नियम और फैसले के जवाब में आम्रपाली जोड़िए के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह स्पष्ट कहते हैं कि उसी फैसले में यह भी लिखा है कि रेजिडेंट मूवमेंट एरिया में कुत्तों को खाना नहीं खिलाया जा सकता और सभी एवं उसी का पालन कर रहे हैं ताकि कुत्ते बच्चो और बुजुर्गो को ना काटे
लोगों का कहना है कि किसी को भी कुत्तों से नफरत नहीं है जैसा कि तमाम कुत्ता प्रेमी गैंग प्रचारित करता है नोएडा की एक बड़ी सोसाइटी के AOA अध्यक्ष ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया दरअसल लोगों को कुत्तों से ज्यादा उनके अधिकारों के नाम पर दुकानदारी कर रही पशु प्रेमियों से परेशानी ज्यादा हो गई है इन लोगों ने सोसाइटी में कुत्तों के अधिकारों के नाम पर ब्लैकमेलिंग शुरू कर दी है यह लोग बड़ी नेता और ऊपरी संपर्क और सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर आम नागरिकों और संस्थाओं को धमकाते है नहीं तो भारत में रहने वाला आम नागरिक हमेशा प्रकृति प्रेमी है जानवर प्रेमी है, वो गाय भी पालता है वह कुत्ता भी पालता है और अधिकांश सोसायटी ओं में 10% लोग अपने घरों में कुत्ता पालते हैं इसलिए यह कहना कि लोगों को कुत्तों से परेशानी है ऐसा नहीं है लेकिन सोसायटी के रेजिडेंट मूवमेंट एरिया या पार्कों में कुत्तों के घूमने से बच्चों को काटे जाने पर जो नुकसान होता है उसकी बचाव के लिए लोग सोसाइटी में स्ट्रे कुत्तों को आने से रोकते हैं सभी लोग इस बात से सहमत हैं कि सोसाइटी के बाहर कुत्तों के लिए एक फीडिंग पॉइंट होना चाहिए जिसकी जिम्मेदारियां नोएडा अथॉरिटी या ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ले अगर इन कुत्तों के लिए बड़े शेल्टर होम बनाए जाएं तो यह और भी बेहतर है लेकिन यह तथाकथित पशु प्रेमी इस सेंटर के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए ऑनलाइन साइट मिलाप से जमा कर लिए हैं और कोई काम नही किया है उन्होंने बताया कि समय आने पर वह इसका भी खुलासा करेंगे
वही भाजपा नेता रवि भदोरिया ने इस मामले पर लिखा कि हाईराइज सोसायटी हो, सेक्टर हो या ग्रामीण क्षेत्र अथवा कॉलोनी, वहां रहने वाले बच्चे और बुजुर्गों की सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। बच्चों के पार्क अथवा रेजिडेंट मूवमेंट एरिया में जानबूझकर आवारा कुत्तों को बुला बुलाकर खाना खिलाने वालों पर कार्यवाही होनी चाहिए।
शशि कुमार सिंह लिखते है कि लोगो की सेफ्टी और सफाई बहुत आवश्यक है
भारत जागरूक संगठन नाम की सामाजिक संस्था लिखती है की रेजिडेंट मूवमेंट एरिया में खाना खिलाने वालो पर प्रतिबंध लगाना बिलकुल सही कदम है आखिर जानवरों गुंडों और अपराधियों से बचने के लिए इतने पैसे खर्च करके लोग सुरक्षित सोसाइटी में फ्लैट रहते है
वही पशु प्रेमियों का तर्क सीधा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं हाईकोर्ट के आदेश हैं पशुओं के अधिकार हैं लेकिन कोई भी पशु प्रेमी इन पशुओं की टैगिंग के लिए तैयार नहीं होता है ताकि यह पता लगता है कि कौन सा कुत्ता किस पशु प्रेमी ने गोद लिया हुआ है और उसके द्वारा कोई भी नुकसान किए जाने पर जुर्माना कौन भरेगा
क्या सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट कभी आम जनता के लिए भी यह आदेश देगा कि अगर कोई कुत्ता जिनके लिए यह पशु प्रेमी लड़ने आते हैं किसी आम जनता के बच्चे या बुजुर्ग को काट लेते हैं तो उसका जुर्माना इलाज और मानसिक क्षति का जिम्मेदार कौन होगा या कुत्तों की पिटाई के नाम पर अपनी दुकानें चलाने वाले यह तथाकथित पशु प्रेमी ऐसे ही जनता को परेशान करते रहेंगे
अथार्टी काम की जगह बस नोटिस भेजती है : लोगो के आरोप
लोगो के सवाल कुत्तों के नाम पर नोटिस भेजने वाले ग्रेटर नोएडा और नोएडा अथार्टी के अधिकारियों से भी है लोग पूछते हैं कि बीते 20 – 30 सालों से नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी आज तक कुत्तों को लेकर कोई पॉलिसी क्यों नहीं बना पाए।
बार-बार यह अधिकारी कुत्तों के स्टरलाइजेशन का काम अपनी चहेती किसी एनजीओ को दे देते हैं और वह स्टरलाइजेशन के नाम पर कोई काम नहीं करती लोगों के आरोप हैं कि अथॉरिटी के अधिकारी सिर्फ खानापूर्ति करते हैं और जनता को परेशान करने के लिए उनकी सोसाइटी में नोटिस भेज देते हैं अगर कुत्तों 20 साल से स्टरलाइजेशन हो रहा हैं तो फिर नए कुत्ते आ कहां से रहें है दोनों अथॉरिटी और पुलिस प्रशासन आज तक इस बात का पता क्यों नहीं लगा पाया है की तमाम कार्यों के बाद आज तक नए कुत्ते लाने वाले लोग कौन हैं लोगों के आरोप है कि यही तथाकथित पशु प्रेमी बाहर से कुत्तों को पकड़ पकड़ कर सोसाइटी के अंदर लाते हैं और उसके बाद उनके नाम पर झगड़ा करते हैं और लड़ाइयां करते हैं और अथॉरिटी जिसके ऊपर पहले ही नोएडा ग्रेटर नोएडा में काम ना करने के तमाम आरोप हैं इन सब मामलों पर आंखें मूंद लेती है और बार-बार जनता को ही नोटिस भेज देती है