
गौतम बुध नगर मैं उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर सभी सीटों के लिए भाजपा का सर्वेक्षण अगस्त से शुरू हो जाएगा इसी क्रम में एनसीआर खबर भी नोएडा गाजियाबाद की सभी विधानसभाओं पर जमीनी सच तलाश रहा है
जिले की नोएडा विधान सभा शहरी सीट में गिनी जाती है । और इस विधानसभा के लगभग एक दशक से भाजपा का कब्जा है । पिछले चुनाव में तत्कालीन विधायक विमला बाथम को हटाकर हाई प्रोफाइल कैंडिडेट पंकज सिंह को यहां उतारा गया था और उम्मीद के मुताबिक मोदी लहर में पंकज सिंह ने रिकॉर्ड वोटों से जीत हासिल की ।

लेकिन बीते 5 साल में क्या पंकज सिंह लोगों की उम्मीदों पर खरे उतर पाए? क्या पंकज सिंह लोगों की सरकारी अस्पताल और सरकारी स्कूल जैसी मांगों को पूरा कर पाए? क्या पंकज सिंह सोसाइटी निवासियों के बिल्डर से चल रहे विवादों को किसी समाधान तक पहुंचा पाए तो ऐसे सभी प्रश्नों के उत्तर लोगों के पास ना में है ।
नोएडा भाजपा का भले ही मजबूत गढ़ माना जाता है मगर यहां लोगों की समस्याओं का बीते 5 साल में कोई समाधान नहीं निकल पाया है पंकज सिंह भाजपा के हाईप्रोफाइल नेता हैं ऐसे में उनके यहां चुनाव लड़ने से माना जा रहा था कि यहां के लोगों की समस्याओं का समाधान होगा लेकिन लोग समाधान तो जब पाएं जब वह पंकज सिंह से मिल पाए । नोएडा से ज्यादा लखनऊ रहने वाले पंकज सिंह से नोएडा की सोसाइटी के लोगो की हमेशा यही शिकायत रही है कि चुनाव के बाद पंकज सिंह से मिलना जंग जीतने के समान है
लेकिन तमाम शिकायतों और विरोध के बावजूद क्या इस सीट पर भाजपा को कोई खतरा है तो इसका जवाब अभी तक ना ही कहा जाएगा और उसका कारण है गौतम बुध नगर में भाजपा के समक्ष किसी भी राजनीतिक दल का संगठनात्मक रूप से सक्षम ना होना।
समाजवादी पार्टी बीते दिनों अपने जिला अध्यक्ष वीर सिंह यादव को हटाने के बाद आज तक यह तय नहीं कर पाई है कि आगे वह किस को कमान देने वाली है और आगे की रणनीति क्या रहेगी महानगर की कमान संभाल रहे दीपक विग की गद्दी बरकरार रहेगी या उनको भी हटाया जा सकता है इसको लेकर समाजवादी पार्टी में भ्रम की स्थिति है वहीं समाजवादी पार्टी के जिस नेता को अभी तक कैंडिडेट माना जा रहा है उनको 2012 के चुनाव में लगभग 50000 वोट मिले थे ऐसे में 7 लाख से ज्यादा वोटर वाली विधान सभा में वो किस नंबर पर आएंगे इसका मंथन समाजवादी पार्टी कर ही रही होगी
वही कॉन्ग्रेस को 2019 में नोएडा से लगभग 25000 वोट मिले थे फिलहाल कांग्रेस में तीन से चार लोग अपना अपना दावा कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस में भी संगठन और नेताओ के बीच समन्वय नही दिख रहा है बीते ही दिनों महानगर अध्यक्ष के साथ विवादों के चलते कांग्रेस सेवादल अध्यक्ष के साथ पूरी कार्यकारिणी भंग कर दी गई । कांग्रेस के कई नेता समाजवादी पार्टी में चले गए जिसके बाद कांग्रेस से कौन चुनाव लड़ेगा और किस तरीके से लड़ेगा यह कह पाना बड़ा मुश्किल है । अभी तक 2 गुर्जर और 3 ब्राह्मण दावेदार मैदान में नजर आ रहे है इनके कौन टिकट की बाजी मारेगा इसके बाद ही कांग्रेस का दावा मजबूत या कमज़ोर दिखाई देगा
आम आदमी पार्टी भी गौतम बुध नगर में अपना दम खम ठोकने का दावा कर रही है लेकिन 2014 के इलेक्शन में आम आदमी पार्टी के लहर के बावजूद तब यहां के लोकसभा प्रत्याशी बड़ी मुश्किल से गिनती लाइक वोट जुटा पाए थे ऐसे में सोशल मीडिया पर ही राजनीति करने वाले जिलाध्यक्ष के साथ नोएडा से आम आदमी पार्टी की रणनीति अभी तक स्पष्ट नहीं है। 2019 के चुनाव में जिस तरीके से नॉमिनेशन के समय कैंडिडेट के साथ प्रस्तावक भी पूरे नहीं हो पाए थे उसको देखते हुए अभी कुछ कह पाना मुश्किल है
वही कभी बसपा का गढ़ माने जाने वाला नोएडा से दुबारा अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए आने वाली 14 अगस्त को सतीश मिश्रा नोएडा में ब्राह्मण दलित का गठजोड़ साधने की कोशिश करने आ रहे हैं बसपा के रणनीति को लेकर बीते कुछ सालों में नोएडा की स्थिति साफ है कि दलित कैडर के आधार पर बसपा किसी सामान को टिकट देती है । यह गठबंधन कितना कामयाब हो पाएगा इसकी संभावना भविष्य में ही पता लगेगी ।
ऐसे में कमजोर विपक्ष के कारण गौतम बुध नगर में भाजपा के विधायक से शिकायतें होने के बावजूद भी जनता के समक्ष दोबारा भाजपा को वोट देने के अलावा और कोई ऑप्शन नहीं है। भाजपा के खिलाफ विपक्ष के नेताओं की स्थिति बस किसी तरीके से टिकट पाकर चुनाव लड़ने के बाद पूर्व विधायक प्रत्याशी लिखवाने तक सीमित नजर आ रही है।