सोशल मीडिया से
ll बाबा बनाएंगे मैगी ll – आलोक श्रीवास्तव
जो कह रहे हैं कि- ”मैगी पर बवाल सोची-समझी रणनीति थी.” संभवत: वे सही हों. बस, वे इतना भूल गए कि लगभग ऐसे ही दांव-पैंच दिखा कर एक दिन ईस्ट इंडिया कंपनी भी भारत आई थी. तब उनका समय था. अब हमारा समय है. हमारे देश का समय है. मैं तो उस दिन के इंतज़ार में हूं जिस दिन हर भारतवासी, अपने ही देश का ट्विटर, फ़ेसबुक और सोशल मीडिया इस्तेमाल करेगा.
हो लिए रे इस्तेमाल. अब नहीं होना. ख़ुद उगाना है, ख़ुद बनाना है और ख़ुद ही खाना है – मैगी. एक बात और कहता चलूं. बाबा से तमाम वैचारिक असहमतियों के बावजूद, अनेक भारतीय घरों की तरह मेरे घर में भी, बाबा के कई उत्पाद इस्तेमाल होते हैं. बाबा खरा हो न हो, आप जानें. उसके उत्पाद ज़रूर खरे हैं.
आलोक श्रीवास्तव