कानाफूसी : अधिकारियों की शिकायत करना पड़ा भारी, जिले के सांसद और एमएलसी को मुख्यमंत्री सेवा की जगह राजनीति ना करने की दे गए हिदायत

नोएडा में मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के दौरे में सब कुछ इतना आसान भी नहीं रहा जहां अधिकारी एक और अपनी साख बचाने में कामयाब रहे वही बताया जा रहा है कि जिले के सांसद और एक एमएलसी को अधिकारियों के सामने ही मुख्यमंत्री से फटकार भी सुननी पड़ी । दरअसल नोएडा के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों पर लोग पहले से ही रहे हैं कि वह लोग जनता की नहीं सुन रहे हैं ऐसे में मुख्यमंत्री के आने की घोषणा के नाम पर जनप्रतिनिधि और अधिकारी दोनों ही एक्टिव हो गए थे ।
सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने जब ऑक्सीजन ऑडिट का आदेश दिया तो सांसद ने कहा कि निजी अस्पताल कोरोना के समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं ऐसे में ऑक्सीजन ऑडिट ना करा कर उनकी सेवा भावना की तारीफ की जानी चाहिए। इसको मुख्यमंत्री भड़क गए उन्होंने ऑक्सीजन ऑडिट की बात दोहराते हुए कहां की एक निजी अस्पताल में सूचना दी कि सिर्फ आधे घंटे का ऑक्सीजन बचाए अगर ऑक्सीजन नहीं मिला तो दिक्कत हो जाएगी उसकी जांच में पता लगा कि उसके पास 30 सिलेंडर रखे हैं इस तरह की गड़बड़ी करने वालों को बिल्कुल भी नहीं बख्शा जा सकता है
वहीं सांसद कहते रह गए कि अधिकारी उनका फोन नहीं उठा रही है सिर्फ आपके आने पर आज मिल रहे हैं उसके बाद जिले के यह एम एल सी भी अधिकारियों की शिकायत करने के लिए खड़े हो गए और जैसे ही उन्होंने कहा कि यह 15 दिन से अधिकारी हमारा फोन नहीं उठा रहे हैं जनता का यह कोई काम नहीं करते हैं एमएलसी अधिकारियों के किसी गांव के दौरे करने से पहले उसकी पूर्व सूचना उनको देने की बात कह रहे थे कि मुख्यमंत्री उन पर और ज्यादा भड़क गए उन्होंने एमएलसी को महामारी में सेवा के समय राजनीति न करने की हिदायत दे डाली
गौरतलब है कि बीते दिनों नोएडा में अधिकारियों ने निजी अस्पतालों जब छापे मारे थे तो उसमें ढाई सौ बेड खाली मिले थे जिसमें एक जनप्रतिनिधि के अस्पताल में भी छत्तीस बेड खाली पाए गए थे जिन्हे भरा बताया जा रहा था ऐसे ही जनप्रतिनिधि के एक अस्पताल में सबसे पहले ऑक्सीजन ना होने के वीडियो वीडियो में जारी कर दिए थे । जिसके बाद बताया गया था कि मुख्यमंत्री लखनऊ से ही आदेश दे दिए थे कि सभी अस्पतालों की जांच अधिकारी सख्ती से करें । माना यह भी जा रहा है कि ऐसे में जनप्रतिनिधियों की अधिकारियों की शिकायत मुख्यमंत्री को बिलकुल पसंद नहीं आई और कोविड के बाद प्रदेश में मुख्यमंत्री ऐसे ही जनप्रतिनिधियों के अस्पतालों पर कोई कड़ा एक्शन भी ले सकते हैं