कोरोना में लगातार हम जहां एक ओर समाजसेवियों द्वारा लोगों की सेवा किए जाने के अनुपम उदाहरण देख रहे हैं वही लगातार ऐसे भी घटनाएं आई जब हमने अस्पतालों में बेड के लिए ऑक्सीजन के लिए और रेमेडीसीवर जैसे इंजेक्शंस के लिए कालाबाजारी की खबरें भी सुनी बाद में प्रशासन ने जब छापे मारे तो कई अस्पतालों में बेड खाली होने के बावजूद में भरा दिखाया जा रहा था।
ऐसे ही वैक्सीन ड्राइव को निजी हाथों में देने के बाद अब अस्पतालों के ज्यादा पैसे लेने की नई घटना सामने आ रही है। नोएडा के समाजसेवियों ने अस्पतालों द्वारा सोसाइटी के अंदर वैक्सीनेशन कैंप लगाने के नाम पर ₹850 की जगह ₹200 और रजिस्ट्रेशन चार्ज के लेने पर आपत्ति जताई है
नोएडा में fonrwa के संरक्षक और समाज सेवा से जुड़े त्रिलोक शर्मा इस 200 रुपए पर सवाल उठाते हुए कहते है नियमानुसार वेक्सीन की संख्या ज्यादा होने पर अस्पतालो के खर्चे कम होने चाहिए लेकिन कुछ अस्पतालो द्वारा अभी भी आपदा में अवसर तलाशे जा रहें है प्रशासन को चाहिये कि उपरोक्त के लिए एक नीति बनाए जिसके कारण जो असमंजस की स्थिति बनी हुई है वह साफ हो
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि अस्पतालो द्वारा जो रु 200 +850 =1050 जबकि वैक्सीन की आपूर्ति कम्पनियो द्वारा अस्पतालो के लिए जो दर सरकार द्वारा रु 600 निर्धारित की गई है पहले रु 150 +100 अस्पताल के चार्ज के रूप मे ले रहे थे अगर अब माना जाए की 600+100 = रु 700 होने चाहिये लेकिन अब रु 1050 ले राहे है अब यह भिन्नता क्यो?
बिसरख भाजपा मंडल अध्यक्ष रवि भदौरिया ने भी इसके लिए आवाज उठाई है उन्होंने कहा कि प्राइवेट हॉस्पिटल विभिन्न सोसाइटी में ₹200 अतिरिक्त शुल्क लेकर कोरोना टीकाकरण अभियान चला रहे हैं । सरकार को इसका तुरंत संज्ञान लेना चाहिए प्राइवेट में जो शुल्क लगता है उसी शुल्क पर कैंप लगे तो ही उचित है आपदा को कमाई का अवसर ना बनाकर जन-जन का टीकाकरण करके लड़ाई को मजबूत करें
एनसीआर खबर ने इस मामले पर कई अस्पतालों के लोगों से बात करने की कोशिश की है लेकिन कोई भी इसको लेकर कुछ बताने को तैयार नहीं है वही इस ड्राइव को चलाने वाले कई सामाजिक संगठन भी इस मामले पर बोलने से बच रहे हैं । लोगों के सीधे आरोप हैं कि ₹200 प्रति वैक्सीन को अगर उनकी मिनिमम गारंटी 200 लोगों से जुड़े तो यह ₹40000 एक्स्ट्रा होती है। अभी तक जानकारी के अनुसार यह ड्राइव ग्रेटर नोएडा वेस्ट में चेरी काउंटी और गौर सिटी के कुछ सोसाइटी में हुई है जबकि नोएडा में 36 सेक्टर में हो रही है
इस मामले पर एनसीआर खबर ने प्रशासन से बात की तो उनको मामले के संज्ञान में ना होने की बात कही है और सभी चीजों पर संज्ञान लेने के बाद एक्शन लेने की विभाग की जा रही है।
एसडीएम गजेंद्र सिंह ने एनसीआर खबर से समाजसेवी द्वारा उठाए गए सभी सवालों की जानकारी ली है और इस पर आगे की कार्यवाही का भरोसा दिया है वही वैक्सीनेशन प्रोग्राम को देख रहे डॉक्टर त्यागी का कहना है कि जब भी कोई सोसाइटी या आरडब्लूए इस तरीके का कवर लेटर किसी हॉस्पिटल को देती है तो हॉस्पिटल हमसे उस जगह के लिए एक स्लॉट मांगता है जहां पर रजिस्ट्रेशन होते हैं हमारा उनके प्राइस को लेकर अभी तक कोई नियम नहीं है
इस पूरे वैक्सिंग ड्राइव का एक कड़वा सच ये भी है की वैक्सीन लगाने के बाद अस्पतालों से ₹1050 की कोई रसीद भी नहीं दी जा रही है ऐसे में लोगो का सवाल ये उठता है कि इतने बड़े पैमाने पर होने जा रहे घोटाले का जिम्मेदार कौन है और आखिर कुछ हॉस्पिटल इस तरीके से अतिरिक्त शुल्क क्यों ले रहे है