जमीनी पड़ताल : क्या पंचायत चुनावों का असर अब दिख रहा है ग्रेटर नोएडा के गांवों में
बीते 2 दिन से ग्रेटर नोएडा के गांव से आ रहे मौत के आंकड़ों ने जिले में हड़कंप मचा दिया है जानकारी के अनुसार भट्टा परसौल में बीते कुछ दिनों में 10 लोगों की मौत हो गई है वही शाहबेरी में अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है दादरी के दुजाना गांव में भी लगभग 15 लोगों के कोरो ना से मृत्यु होने की खबरें ऐसे तमाम गांव में लगातार आ रहे मौत के आंकड़े अब लोगों को डरा रहे हैं दादरी विधानसभा में आने वाले हैं खैरपुर गुर्जर में लगभग 25 मौतों के बाद पूरा गांव ही संक्रमित बताया जा रहा है ऐसे ही हालात अन्य गांव के भी हैं
जानकारों की माने तो इसका बड़ा कारण बीते दिनों हुए पंचायत चुनाव को भी माना जा रहा है पंचायत चुनाव के दौरान हुए प्रचार में गांव के लोगों के साथ-साथ शहरी लोग भी बहुत लगे थे इसी प्रचार के दौरान आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष के भाई का भी कोरोना से निधन हो गया था गांव वालों के अनुसार गांव में टेस्टिंग और सैनिटेशन की कम सुविधा होने का परिणाम भी गांव में कोरोना से हो रही मौतों को बता रहा है
इसी बीच ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण ने भी गांव में जाकर हालात का जायजा लेना शुरू किया है लेकिन लोगों का कहना है कि यह काम अगर 2 हफ्ते पहले किया जा रहा होता तो शायद इतनी मौतें नहीं आती, हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि गांव में हो रही सभी मौत का कारण कोरोना नहीं है बहुत सारी मौत सामान्य बीमारियों से भी हो रही है लेकिन गांव वालों में इन मौतों को लेकर डर बैठ गया है बिसरख ब्लॉक के सामाजिक कार्यकर्ता संजय सिंह का कहना है कि अधिकांश बीमारियां या तो ऑक्सीजन कम होने से हो जा रही हैं या फिर बुखार आने से हो रही हैं गांव वालों को इसलिए भी कोरोना डर ज्यादा लग रहा है कि कई केसों में बीमार होने के 2 से 3 घंटे के बाद ही मरीज की मृत्यु हो जा रही हो ऐसे में जो लोग सक्षम है वह बाहर ज्यादा इलाज करवा ले रहे हैं लेकिन गांव के आम लोग झोलाछाप डॉक्टरों के ही भरोसे इलाज करवा रहे हैं
वही लोगों का गुस्सा भाजपा विधायक और सांसद के ऊपर भी निकल रहा है गांव के लोगों का कहना है कि वोट के समय तो यह लोग घर-घर घूम रहे थे लेकिन सुविधा देने के समय सब घरों में बैठे हुए हैं लोगों का यहां तक कहना है कि असल में गांव में कोरोना यही लोग दे कर कर गए हैं क्योंकि अधिकांश नेता 15 या 16 तारीख के आसपास खुद से क्वॉरेंटाइन होना शुरू हो गए थे ऐसे में यह शक जाहिर किया जा रहा है कि यह लोग कोरोना संक्रमित होने के बावजूद गांव में जाकर प्रचार करते रहे या फिर इन लोगों ने एक तरीके से कोरोना कैरियर का काम गांव वालों के लिए किया है
