सीएम योगी की सोशल मीडिया टीम में कार्यरत पार्थ श्रीवास्तव ने आत्महत्या कर ली है! पार्थ ने सुसाइड नोट में लिखा है ‘मेरी आत्महत्या एक कत्ल है जिसका जिम्मेदार उसने शैलजा और पुष्पेंद्र सिंह को ठहराया है’। नोट में प्रणय, महेंद्र और अभय का भी जिक्र है। पुष्पेंद्र सिंह पर उत्पीड़न का आरोप है
अपने आत्महत्या के पत्र में पार्थ ने लिखा
प्रणय भैया ने मुझसे कहा था कि, मुझसे बात करेंगे पर उन्होंने पुष्पेंद्र भैया से रात 12:40 पर क्रॉस कॉल करके उनसे अपनी सफाई दिलवाई। पुष्पेंद्र भैया ने जानबूझकर व्हाट्सएप कॉल करी ताकि उनकी बातें रिकॉर्ड ना हो सके। कॉल करके भी उन्होंने सारा दोष संतोष भैया पर डाला और इस बात का यकीन दिलाया कि वह मेरे शुभचिंतक ही रहे हैं। जबकि सत्य तो यह है कि वह सिर्फ और सिर्फ शैलजा जी के शुभचिंतक रहे हैं। हमेशा से पुष्पेंद्र भैया शैलजा जी के अलावा कभी और किसी की चिंता नहीं रहे। बाकियों की छोटी से छोटी गलती पर पुष्पेंद्र भैया हमेशा नाराज होते रहे। शैलजा जी और महेंद्र भैया के सिर्फ उनका गुणगान करते रहें।
मुझे आश्चर्य प्रणय भैया पर होता है कि वह यह सब देखने समझने के बावजूद पुष्पेंद्र भैया का साथ कैसे व क्यों देते रहे। मैंने जब से यह कार्य शुरू किया तब से सबसे ज्यादा इज्जत प्रणय भैया को ही दी। मैंने उनसे या अभी सीखा कि सिर्फ काम बोलता है और इंसान को उसका काम ही उसकी पहचान बना बनता है। एक तरफ पुष्पेंद्र भैया जो सिर्फ दूसरों की कमियां निकालते दिखे तो दूसरी तरफ प्रणय भैया दिखे जो अपनी कार्य से अपना नाम बताते दिखे।
मैंने प्रणय भैया को अपना आदर्श माना और सिर्फ काम के द्वारा अपना नाम बनाना चाहा, मुझसे गलतियां भी हुई पर वह गलतियां न दोहराने की पूरी कोशिश करी। परंतु शैलजा जी जो सिर्फ चाटुकारिता कर अपनी जगह पर थी उन्होंने मेरी छोटी से छोटी गलती को सबके सामने उजागर कर मुझसे नकारा साबित कर ही दिया। शैलजा जी को बहुत-बहुत बधाई। मेरी आत्महत्या एक कत्ल है जिसके जिम्मेदार और सिर्फ राजनीति करने वाली शैलजा और उनका साथ देने वाले पुष्पेंद्र सिंह हैं।
अभय भैया और महेंद्र भैया को इस बात का हल्का सा ज्ञान भी नहीं कि, लखनऊ वाले कार्यालय में क्या चल रहा था। मैं आज भी मरते दम तक महेंद्र भैया और अभय भैया की अपनी माता-पिता जितनी इज्जत करता हूं।