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दक्ष का असली कातिल कौन ? हत्यारे, नाकाम पुलिस या फिर मामले पर मौका मिलते ही नेतागिरी चमकाने के लिए पहुँचने वाले नेता

३ साल के दक्ष को 31 मार्च को घर के बाहर से उठा लिया गया I आइसक्रीम खाने निकले इस मासूम को पता नहीं था कि आज वो निकला है तो अब घर वापस नहीं आ पायेगा I दक्ष के गायब होने का पता चलते ही उसके पिता ने दादरी कोतवाली में उसके गायब होने के संबंध में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी। परिजनों के अनुसार दादरी पुलिस द्वारा बालक का पता लगाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। ३ दिन बाद दक्ष का शव बुलंदशहर में नहर के पास मिला I आशंका जताई जा रही है कि अज्ञात आरोपियों ने गला दबाकर हत्या कर शव को नहर में फेंका है। शव काफी फूला हुआ था, जिससे उसके 3 से 4 दिन पुराना होने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

कोतवाली प्रभारी अखिलेश त्रिपाठी के अनुसार मासूम के शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया गया है। घटना की रिपोर्ट दादरी कोतवाली में ही दर्ज है। इसी कारण वहीं से केस की जांच की जाएगी दक्ष के शव की जानकारी जब परिवार को मिली तो माता-पिता, दादा समेत अन्य परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

दक्ष की मां संगीता रोती-बिलखती बोली कि आज तो अंधेरा हो गया। कोई मेरे दक्ष को ला दो। मां के दर्द ने वहां लगी भीड़ की आंखों को नम कर दिया। दक्ष के दादा ने पुलिस को कोसते हुए कहा आज तो मेरा दीपक बुझ गया है। भगवान मुझे उठा लेता तो घर का चिराग तो बच जाता। किसी से दुश्मनी तक नहीं है। फिर ऐसा कैसे हो गया। अगर कोई दुश्मनी रखता था तो हम से निकालता। मासूम का क्या कसूर था

लेकिन इस सब में क्या सिर्फ पुलिस की लापरवाही ही दक्ष की हत्या का मुख्य कारण है या फिर कुछ और ये तो इस मासूम के हत्यारों के पकडे जाने के बाद ही पता चलेगा I लेकिन इस पुरे प्रकरण में क्षेत्र में पंचायत चुनाव के चलते राजनेताओं का ज़रूरत से ज्यादा परिवार के पास पहुँचने की होड़ ने भी बहुत बुरा किया I पंचायत चुनाव के चलते पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने दक्ष के परिवार को लेकर पुलिस पर दबाब बनाना शुरू कर दिया जिसके कारण लगता है कि अपराधियों ने पुलिस के पकडे जाने के डर से मासूम के परिवार को फ़ोन तक करने की कोशिश नहीं की I

वहीं पुलिस ने भी स्थानीय नेताओं के दबाब सीधे मासूम दक्ष का फोटो वायरल करते हुए उसकी सुचना देने वाले को इनाम की घोषणा कर दी I आमतोर पर पुलिस की कार्यवाही अपराधियों को मौका ना देने की होनी चाहिए मगर इस पुरे प्रकरण में पुलिस भी सोशल मीडिया पर ही काम करती नजर आयो शायद नेताओं का दबाब ऐसा ही रहा हो I लेकिन नेताओं के दबाब के बाबजूद पुलिस पर सवाल ख़तम नहीं हो जाते I पुलिस की नाकामी इस मामले में बड़ी है भले ही पुलिस बाद में हत्यारों को पकड ले लेकिन औधोगिक क्षेत्र में क्राइम का ना रुकना पुलिस कमिश्नरेट की कार्यशैली पर सवाल तो लगाएंगी

लेकिन पुलिस के अलावा अगर कोई और ज़िम्मेदार है तो वो हैं क्षेत्र के नेता और इन्ही नेताओं की मासूम दक्ष के परिवार के साथ दिखने और मीडिया में छाने की होड़ और पुलिस पर दबाब ने अपराधियों को निश्चित तोर पर इस कुकर्म के लिए मजबूर कर दिया होगा इसीलिए वो मासूम को मारने से भी नहीं चुके I दक्ष की म्रत्यु के बाद परिवार जहाँ अपने घर के चिराग के जाने का गम मना रहा है वहीं पुलिस खाली हाथ है I

असल में क्षेत्र में सोशल मीडिया पर दिखने के लिए की जा रही नेतागिरी अब दुधारी तलवार बनती जा रही है नेताओं को मौके चाहए बस किसी तरह सोशल मीडिया पर किसी भी मुद्दे पर अपना प्रचार कर सके और यही आज के समाज का कडवा सच है । इन नेताओ की भूख मासूम की बलि देने के बाद भी नही मिटी । मासूम की हत्या का पता चलते ही फिर से भाजपा कांग्रेस और सपा नेताओं का जमघट पीड़ित के घर लग गया। अब नेता इसी को लेकर कैंडल मार्च जैसे आयोजन कर रहे है लेकिन क्या इससे वो मासूम वापस आ जाएगा

कहने वाले कुछ भी कहे सच तो ये है कि एक माँ से उसका मासूम बच्चा छिन गया जिसकी भरपाई मुश्किल है उसके ज़िम्मेदार पल पर भर में नेता बन्ने की चाह और सोशल मीडिया का अत्यधिक दुरूपयोग भी कहा जाएगा

एन सी आर खबर ब्यूरो

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