जिले के निजी अस्पयालो में आधार कार्ड पर लिखे एड्रेस से बाहरी लोकल के आधार पर कोरोना मरीज के लिए 50%बेड रिजर्व करने के आदेश पर लोगो के सवाल

कोरोना सिर्फ आपको माहमारी के कारण ही परेशान नहीं कर रहा है बल्कि आपको ये भी एहसास दिला रहा है कि अगर आपके आधार पर आपके गांव का एड्रेस है तो आप कहां के अस्पताल में जाएंगे ये पता नही होगा। क्या आपको वापस गांव जाकर वहां एडमिट होना पड़ेगा या फिर आप यहां दोयम दर्जे के नागरिक की तरह बचे हुए 50% बेड के खाली होने का इंतजार करना होगा। जी हां ऐसे ही खबरों से घबरा कर लोगो ने ये सवाल पूछे है एनसीआर खबर ने इस पर डा ओहरी से इस मामले पर स्पष्टीकरण के लिए फोन किया लेकिन उनसे फोन पर संपर्क नहीं हो सका

असल में कुछ सोशल मीडिया पर आई कुछ खबरों के अनुसार जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा दीपक ओहरी के हवाले से कहा गया है की जिले में जिन निवासियों के आधार पर यहां का एड्रेस है उनके लिए निजी अस्पतालों में 50% बेड आरक्षित किए हुए है। सभी अस्पतालों को इसकी सूचना दे दी गई है
स्वास्थ्य विभाग दावा है कि जिले में दिल्ली गाजियाबाद मेरठ और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बहुत लोग इलाज के लिए आते है जिसके वजह से यहां के अस्पतालों में बेड फुल हो जाते है जबकि सच्चाई इसके उलट है । एनसीआर खबर की सुचना के अनुसार जिले में 40% से ज्यादा लोग बाहर से आकर किराए पर रहते है जिनके आधार कार्ड में उनके गांव के ही एड्रेस होते है । ऐसे में इन लोगो को स्वास्थ्य विभाग बाहरी मानकर जिले के आंकड़ों को कम दिखाने के प्रयास करता है
जबकि शहर के निजी अस्पतालों के हालात ये है कि वहां इस समय बेड खाली नही मिल रहे है। लोगो के अनुसार शहर में कोविड के सभी अस्पतालों में बेड और ICU फुल हो चुके है I प्रकाश हॉस्पिटल के एमडी डा बीएस चौहान ने बताया कि उनके अस्पताल में बीते 5 दिनों में जैसे हालात उन्होंने देखे है वो कभी भी नहीं देखे। इस समय उनके कोविड अस्पताल में कोई बेड खाली नही है । ऐसी ही स्थिति कमोवेश हर अस्पताल की है ।
स्वास्थ्य विभाग के दावे से उलट है सच्चाई
बिहार से आकर ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले सुरेश वर्मा पूछते है कि उनकी दिल्ली आए एनसीआर में आए 10 साल हो गये है मगर उनके आधार और वोटर कार्ड वहीं के है ऐसे में अगर उनको या उनके यहां किसी को कोरोना होगा तो क्या स्वास्थ्य विभाग और निजी अस्पताल उनको यहां का मानेंगे या फिर बिहार का बता कर बिहार जाने को कहेंगे।
ऐसे में आधार कार्ड से यहाँ रह रहे लोगो को स्थानीय बाहरी बनाकर देखना सिर्फ आंकड़ों की बाजीगरी है स्वास्थ्य विभाग सिर्फ जिले में कम मरीज दिखाने के लिए ऐसे आदेश जारी करते है
बहराल सरकारी अधिकारियों के ऐसे तुगलकी फरमानों से और कितनी मुसीबत लोगो को होने वाले है इसका पता आने वाले दिनों में।ही पता चलेगी क्योंकि जैसे जैसे कोरोना का संक्रमण बढ़ेगा वैसे वैसे ये समस्या और भी गहरी होगी