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विधानसभा चुनाव 2022 : बढ़ती शहरी आबादी से बदलेंगे क्या दादरी सीट के समीकरण, अभी तक सभी दलों से रहे हैं लोकल प्रत्याशी

विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दलों ने हैं तैयारियां शुरू कर दी हैं । गौतम बुध नगर की तीन प्रमुख सीटों विधानसभा सीटों में नोएडा सीट जहां पूर्णतया शहरी मतदाता और शहरी प्रत्याशियों को मौका दे रही है वहीं बाकी बची 2 सीटों दादरी और जेवर पर अभी स्थानीय प्रत्याशियों की दावेदारी रही है ।

लेकिन दादरी सीट के बढ़ते शहरीकरण का प्रभाव अब दादरी की राजनीति में दिखने लगा है अब तक दादरी सीट पूर्णतया ग्रामीण सीट थी जिसमें ग्रेटर नोएडा का कुछ हिस्सा वोट डालता था लेकिन इस पर शहरी या यूं कहें कि बाहर से आए हुए लोगों का प्रतिनिधित्व बहुत कम था लेकिन बढ़ते शहरीकरण और बदलते डेमोग्राफी के चलते यह माना जाने लगा है कि शायद 2022 आते-आते यह सीट ग्रामीण मतदाता और शहरी मतदाता में बराबर पर आ जाए ऐसे में राजनीतिक दलों से 2022 में किस की दावेदारी रहेगी इसकी चर्चाएं भी होनी शुरू हो गई हैं जहां स्थानीय लोगों की राजनीति का मुद्दा लोकल वर्सेस बाहरी होता जा रहा है और लगातार यह दबाव बनाने की कोशिश है कि स्थानीय लोगों को ही राजनीति में मौका मिले वहीं शहर में फ्लैट बायर्स की राजनीति करने वाले पूर्वांचल ऑर बिहार के नेताओं की एक बड़ी दावेदारी भी सामने आने लगी है

माना जा रहा है कि 2022 तक बिसरख पूर्णतया शहरी मतदाता के तौर पर विकसित हो जाएगा। यहां आने वाले लोगों की संख्या यह बता रही है कि यहां की लगभग 70 से ज्यादा सोसाइटी के 300000 मतदाता दादरी की ग्रामीण मतदाताओं की संख्या को प्रभावित करेगी ऐसे में शहरी समाजसेवियों की आज की सेवा कहीं कल की दावेदारी ना बनने लग जाए इसकी संभावना बढ़ती जा रही है

नोएडा की राजनीति को बहुत ध्यान से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार 2007 के समय नोएडा में भी इसी तरीके से शुरू शुरू में ग्रामीण नेताओं का बोलबाला था लेकिन उसके बाद डॉ महेश शर्मा ने राजनीति की पूरी धुरी बदल दी। गांव की जातिवादी माहौल की जगह उन्होंने शहरी विकास वादी छवि को आगे किया और नोएडा में अपनी पहचान भी बनाई और लगातार जीत भी दर्ज की ।

भाजपा, कांग्रेस या आम आदमी पार्टी तीनों ही दलों में संगठन स्तर पर भी लगातार शहरी कार्यकर्ताओं को मिला प्रतिनिधित्व भी इसी ऑर इशारा कर रहा है। लखनऊ में भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों ही दलों के संगठन के नेताओं ने इस बात को माना है कि बढ़ते शहरी दबाव के बाद यहां पर शहरी कार्यकर्ताओं को नकारना असंभव है क्योंकि शहरी मतदाता खुद को अपने जैसे ही कार्यकर्ता के साथ जोड़ पाता है

ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों की नजर दादरी सीट पर आकर टिकने लगी है और कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों में यह संभावना व्यक्त की जा रही है कि यहां पर अब किसी बाहरी प्रत्याशी का आगमन हो सकता है भाजपा के लिए आज के परिदृश्य में यह सीट एक सुरक्षित सीट बन चुकी है वहीं कुछ लोगों का यह भी कहना है कि 2021 के मध्य तक बिसरख या ग्रेटर नोएडा वेस्ट दादरी विधानसभा से अलग होकर नई विधान सभा भी बन सकती है जिसको लेकर ही आ तमाम समाज सेवी लोकल राजनीति में अपने दांव आजमाने में लगे हैं

NCRKhabar Mobile Desk

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