राजेश बैरागी । सरकारी अधिकारी का खिलाड़ी होना किसके लिए फायदेमंद है? इस प्रश्न के दो सामान्य उत्तर हो सकते हैं। एक तो स्वयं उस अधिकारी के लिए और दूसरा देश के लिए। जहां तक देश को लाभ होने की बात है तो खिलाड़ी अधिकारी हो या न हो, इससे क्या अंतर पड़ता है। परंतु यदि खिलाड़ी महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदाधिकारी है तो निश्चित ही वह खेल अथवा अपने कर्तव्य में से किसी एक के साथ ईमानदार नहीं रह सकता है। गौतमबुद्धनगर (उत्तर प्रदेश) के वर्तमान जिलाधिकारी आजकल खेल के सिलसिले में अवकाश पर हैं।ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।वे यहां और प्रयागराज के जिलाधिकारी रहते कई बार खेल के लिए हफ्ते-पखवाड़े के लिए अवकाश पर जाते रहे हैं।सुहास एलवाई अंतरराष्ट्रीय पैरालंपिक बैडमिंटन का जाना माना नाम है।गत वर्ष टोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीता था। दाहिने पैर से असामान्य होने के बावजूद कंप्यूटर साइंस में बीटेक और फिर आईएएस की परीक्षा पास करने वाले सुहास एलवाई पैरालंपिक में तीसरे स्थान के खिलाड़ी रह चुके हैं। यह देश के लिए गर्व की बात है। परंतु उनकी सभी योग्यताओं के साथ उनका खिलाड़ी होना जनपद वासियों के लिए भारी पड़ रहा है। प्रतिदिन घंटों अभ्यास और फिर विभिन्न मुकाबलों के लिए उनका अवकाश पर जाना, उनसे संबंधित कार्यों की गति को बेहद प्रभावित करता है। जिला मुख्यालय पर अनेक लोग मिलते हैं जिनके जायज काम अरसे से जिलाधिकारी की अनुमति और संस्तुति की प्रतीक्षा कर रहे हैं। परंतु उनकी खेल की व्यस्तताओं के बीच उनसे अपने काम को करने की कौन कहे। हालांकि उनकी सचिव पद पर प्रोन्नति से लोग प्रसन्न हैं।(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नोएडा)
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