बीते दिनों जिले ठाकुर महासभा का एक बड़ा सम्मेलन हुआ जिसमें दो राजनेता भाई भी उपस्थित हुए । समाज के इस कार्यक्रम में शामिल होने पर दोनों को साथ लाकर तमाम फोटो सेशन हुआ जिसके बाद एक भाई ने कहा कि लोग भले ही कुछ भी कहते रहे मगर हम दोनों साथ-साथ हैं । बताया जा रहा है कि इनका ऐसा कहना इसलिए भी जरूरी है कि अब चुनाव आ रहे हैं और सालों से उपेक्षित दूसरे भाई को पार्टी में बड़ा पद मिल गया ऐसे में भाई के साथ दिखना जरूरी हो गया है ।
लेकिन कहानी में ट्विस्ट अभी बाकी है दूसरे भाई ने सधे शब्दों में ही सही भाईचारे को पॉलीटिकल करेक्ट कर दिया। उन्होंने समाज के उपर बोलते हुए कहा कि अक्सर कहा जाता है कि हम सब साथ हैं हम साथ साथ हैं मगर यह लाइन ही अपने आप में असलियत बता देती है अगर हमको यह कहना पड़ रहा है कि हम साथ-साथ हैं यह हम सब एक हैं, हमें एकता के साथ रहना चाहिए। यह बेहद नकारात्मक वाक्य हैं। मुझे लगता है कि इन वाक्यों का उपयोग करने से कहीं ना कहीं यह संदेश जाता है कि हम लोग एक नहीं हैं और दुराव है।
अब इस कार्यक्रम के बाद तमाम लोगों ने यह चर्चा है कि भाई ने समाज को संदेश दिया या फिर भाई ने अपने भाई को संदेश दिया।
जाते साल में विधायक ठाकुर सम्मेलन तो सांसद ब्राह्मण सभा में जा रहे क्या चुनावी साल में ब्राह्मण ठाकुर में होगा भाजपा का बंटवारा
अब जब ठाकुर सभा की बात हो रही है तो उसी दिन क्षेत्रीय सांसद भी कुछ लोगों को अपने यहां बुला कर ब्राह्मण सभा की मीटिंग करने लगे । सांसद जी ने अपने भाई के घर पर शहर के नए उभरते ब्राह्मण युवाओं को बुलाकर सम्मानित किया ब्राह्मण एकता की तमाम बातें की। एक ही दिन हो गए दो सम्मेलनों से सांसद और विधायक के साथ-साथ ब्राह्मण और ठाकुर का बंटवारा भी भाजपा में दिखाई देने लगा जिस दौर में पूरा जिला भाजपा में हो गया है उस दौर में सांसद और विधायक के जातिवादी समीकरण पर भी तमाम चर्चाएं शुरू हो गई लोगों ने इन दोनों ही कार्यक्रमों में प्रतीकों के इस्तेमाल पर भी चर्चा की हैं ठाकुर सभा में जहां भगवान राम दिखाई दिए उनके चरित्र का गुणगान हुआ तो ब्राह्मण सभा की बैठक में परशुराम भगवान की बातें हुई ऐसे में बड़ा कमाल यह भी है कि दोनों ही जगह भाइयों के प्रेम के साथ राजनीति साधी जा रही है।
किसानों पर मुकदमे वापस लेने पर भी सांसद और विधायक आए आमने-सामने
कमाल की बात यह है कि 1 दिन बाद ही सरकार द्वारा किसानों पर लगे मुकदमों को वापस ले लिया गया जिसके बाद फिर से श्री राम और परशुराम की लड़ाई सामने आ गई विधायक जी ने स्थानीय अखबारों को साधा तो सांसद जी ने सारे चैनलों को साध लिया जिसका परिणाम यह हुआ कि किसानों के मुकदमे वापस लेने पर धन्यवाद अखबारों में विधायक जी के नाम छपा और सभी टीवी चैनल्स पर धन्यवाद सांसद जी को दिया गया। लखनऊ में बैठे पर्यवेक्षक के समझ नहीं पा रहे हैं कि भाजपा के भीतर चल रही है रस्साकशी संगठन को कितना फायदा या नुकसान पहुंचाने वाली है
जाऊं तो जाऊं कहां ? सांसत में फंसा सामाजिक संगठन
लेकिन ऐसा नहीं है कि भाइयों के बीच और भगवान राम और परशुराम के प्रतीकों के बीच ही लड़ाई चल रही हो इन दोनों की लड़ाई में दोनों तरफ से मलाई खा रही बिल्ली यानी एक सामाजिक संगठन की भी जान सांसत में फंस गई अभी तक यह संगठन सांसद और विधायक दोनों तरफ मलाई खा रहा था जब ग्रेटर नोएडा वेस्ट सांसद आपके द्वार के कार्यक्रम होते तो सोसाइटी में यह संगठन सांसद जी के गुणगान करता और जब विधायक को ट्विटर पर धन्यवाद देना होता तो यह संगठन विधायक को धन्यवाद देता। लेकिन इस बार मामला फंस गया पहली बात तो ठाकुर और ब्राह्मण में इनको दोनों जगह जगह नहीं मिली दूसरी बात किसानों के मसले पर इनको समझ नहीं आया कि सांसद को छोड़ दे या विधायक को ले ले ऐसे में हमेशा की तरह संगठन चुप्पी मारता दिखा
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