दो बड़ी घटनाएं सामने आ रही है बीते दिनों राज्यसभा में फ़ॉरेन कंट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) अमेंडमेंट 2020 यानी FCRA बिल को पास किया गया है और आज खबर आ रही है की देश में काम करने वाली विदेशी एनजीओ एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत से अपना काम समेटना शुरू कर दिया है I जिसके बाद भारत में स्वयं सेवी संस्थाओं के काम काज को लेकर उठने वाले सवालो पर एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गयी है एमनेस्टी ने एक बयान में अपना काम बंद करने के लिए “सरकार की बदले की कार्रवाई” को ज़िम्मेदार बताया है संस्था के अनुसार ये फ़ैसला हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के संस्था के खातों को फ़्रीज़ करने के बाद किया है आपको बता दें कि एमनेस्टी पर विदेशी चंदा लेने के बारे में बने क़ानून एफ़सीआरए के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था
जानकारी के मुताबिक़ नए बिल में अब ग़ैर-सरकारी संस्थाओं यानी एनजीओ के प्रशासनिक कार्यों में 50 फ़ीसद विदेशी फ़ंड की जगह बस 20 फ़ीसद फ़ंड ही इस्तेमाल हो सकेगा I यानी इसमें 30% की कटौती कर दी गई है इसके अलावा अब बड़ी एनजीओ बाहर से मिलने वाले ग्रांट को भारत में चलने वाली छोटी अन्य एनजीओ से शेयर भी नहीं कर सकेगी और एनजीओ को मिलने वाले विदेशी फ़ंड स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, नई दिल्ली की ब्रांच में ही रिसीव किए जाएंगे
जिसके बाद देश में सामाजिक बदलाव लाने के लिए काम करने का दावा करने वाली एनजीओ में भी खलबली मच गयी है ऐसे में तथाकथित सिविल सोसायटी के लोग कह रहे हैं कि नए नियम इन्हें सशक्त करने की बजाय कमज़ोर कर रहे हैं और भारत में एनजीओ के लिए एक असहज माहौल बनता जा रहा है लेकिन लोगो का कहना है की असल में भारत सरकार का ये कदम एन जी ओ के नाम पर चल रही देश विरोधी गतिविधियों पर लगाम लगाएगा
सामाजिक संस्थाओं द्वारा बाहर से मिलने वाले फंड के दूरउपयोग की बाते कोई नयी नहीं हैं पूर्व 2002 में दंगो में मारे गये मुसलमानों के नाम सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता तीसलावाड पर उन्ही के साथियो ने बाद में एनजीओ के फंड का दूरउपयोग अपनी विदेशी यात्राओं और शापिंग के लिए करने में लगाया था तो संस्थाओं द्वारा दान लेने के बाद उसका एक हिस्सा वापस कर देने जैसे ओपन सीक्रेट भी सभी जानते है
साल 2016 में 20,000 एनजीओ के FCRA लाइसेंस रद्द कर दिए गए थे. यानी उनकी विदेशी फ़ंडिंग पर रोक लगा दी गई. सरकार ने कहा कि इन संस्थाओं ने फ़ॉरेन फ़ंडिग से जुड़े नियमों का ‘उल्लंधन’ किया है मीडिया में आई एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा उठाये गये कड़े नियमो के बाद साल 2015 से 2018 के बीच एनजीओ को मिलने वाले विदेशी फ़ंड में 40 फ़ीसद की कमी आई है ऐसे में संस्थाओं द्वारा सामाजिक कार्यो के नाम पर देश के खिलाफ किये जाने वाले प्रचार में भी फर्क आया है
ऐसे में एमनेस्टी के बाद और कौन सी संस्थाए भारत से अपना काम बंद करेगी ये देखने वाली बात होगी क्या ये सब FCRA के कड़े नियमो और संस्थामे पारदर्शिता के कारण है या फिर महज संयोग होगा