भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष तो स्वतंत्र देव सिंह ने आज अपनी प्रदेश कार्यकारिणी घोषित कर दी है I जिसमे प्रदेश के सभी कद्दार नेताओं को उनके जाती कद के अनुसार स्थान भी दिया गया है I पूर्वांचल में ठाकुर और ब्राह्मण के बीच चल रही राजनीती के बीच कहीं ब्राह्मण बुरा ना मन जाए इसलिए 7 ब्राह्मणों और 6 ठाकुरों को स्थान दिया गया है I इनके अलावा ओबीसी और दलित सामुदाय को खुश रखने के लिए सैनी, सोनकर,गुर्जर,वैश्य, पिछड़ा समेत बाकी सामान्य जातिओ पंजाबी, खत्री, नोनिया चौहान और सर्वश्रेष्ठ ठाकुर ब्राहमण को भी स्थान दिया गया है
लेकिन सत्यनारायण कथा के वैश्य की तरह स्वतंत्र देव सिंह इस बार भी कायस्थों का नाम रखना भूल गए या फिर यूं कहें कि शायद सुनील बंसल क्षत्रियों के प्रभाव और ब्राह्मणों के वर्चस्व की लड़ाई के बीच किसी कायस्थ को इस लिए भी महत्व नहीं दिए क्योंकि उनकी राजस्थान में लड़ाई ओम माथुर से हैं इसलिए उन्हें गोरखपुर, प्रयागराज,लखनऊ, कानपुर, बनारस कहीं से भी एक भी कायस्थ पार्टी के लिए काम का नहीं मिला I
कायस्थ समाज में इस बात को लेकर लिस्ट जारी होने के बाद से सवाल उठने शुरू हो गए कि कायस्थ समाज भाजपा के लिए कामधेनु गाय है बस उससे वोट लेते रहो लेकिन कोई स्थान मत दो। प्रयागराज से कायस्थों की संस्थाओं के प्रतिनिधित्व करने वाले धीरेन्द्र श्रीवास्तव इस पर कहते है कि भाजपा कायस्थों की देशभक्ति ऑर धार्मिक समर्पण को मजबूरी मान लेती है । उनको लगता है कि कायस्थ चूंकि ब्राह्मणों की तरह सडको पर नहीं उतरता ऑर ना ही ठाकुरों की तरह दबंगई दिखाता है तो उसको कोई स्थान की जरूरत कहां है । एक दौर था जब इसी प्रयागराज में।चौधरी नौनिहाल सिंह जैसे कायस्थ हुए है । डॉ संपूर्णानंद जैसे मुख्यमंत्री हुए है लेकिन इ सभी कांग्रेस में थे और कायस्थ के कांग्रेस से भाजपा में जाने के बाद से उसकी स्थिति कमजोर हुई है जातीय दबाव के दौर में अब प्रतिभा को नहीं संख्याबल का महत्व रह गया है । जबकि भाजपा के प्रारम्भिक दौर में कायस्थ ही उसके साथ आए थे I