नोएडा में प्राइवेट लैब के टेस्ट रिपोर्ट पर लगातार सवाल उठ रहे हैं जिला प्रशासन की जांच में अब तक लगभग 35 से ज्यादा कैसे पर सवाल उठ चुके हैं जिन इन लोगों की रिपोर्ट प्राइवेट लैब में पॉजिटिव आई थी लेकिन सरकारी जांच में इनको नेगेटिव पाया गया
जिला प्रशासन अब इसके खिलाफ जांच कर रहा है सीएमओ डॉक्टर ओहरी के अनुसार ऐसी प्राइवेट लैब को नोटिस भेजा गया है वहीं जिला निगरानी अधिकारी डॉक्टर सुनील दोहरे के अनुसार जब भी किसी प्राइवेट लैब से कोई मरीज कोरोना संक्रमित होकर उनके पास आता है तो उसको उसकी जांच के लिए उसी दिन सैंपल लिया जाता है जिसके बाद अगर सरकारी रिपोर्ट में टेस्ट पॉजिटिव आता है तो उसको रखते हैं नहीं तो उसको घर पर होम कवारेन टाइन के लिए भेज देते हैं
ऐसे में सरकार और प्राइवेट लैब के बीच समस्या आम लोगों की है इसी रस्साकशी में अभी सेक्टर 82 के एक मरीज की मृत्यु हो गई क्योंकि ना उसका टेस्ट प्राइवेट लैब में हो पाया ना सरकारी लाइफ में दोनों जगह से परेशान होकर लास्ट में जब वह शारदा हॉस्पिटल गया तो वहां पर उसका सैंपल लेकर घर भेज दिया गया और घर पर उसकी मृत्यु हो गई । तो ऐसे में सवाल यह उठता है अगर प्राइवेट लाइफ के सैंपल्स की जांच सही नहीं हो रही है और रिपोर्ट गलत आ रही है तो आम जनता के प्राइवेट लैब में खर्च होने वाले 4500 रुपए का हिसाब कौन देगा या फिर सरकार ने प्राइवेट लैब में टेस्ट को किस आधार पर स्वीकृति दी है
अरिहंत आर्डन निवासी नवीन कुमार इस पर अपनी अलग ही राय रखते हैं उन्होंने कहा कि यह सच है कि प्राइवेट लैब के आंकड़े सरकारी लैब से भिन्न है लेकिन सोसाइटी के अंदर एक महिला को प्राइवेट लैब ने संक्रमित करार दिया जिसको सरकारी लैब ने निगेटिव बताकर घर भेज दिया लेकिन उसके बाद उन्हीं महिला के घर के सामने वाले घर से एक और मरीज का कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया और उसके बाद उनके ही पति का भी कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया ऐसे में सरकारी तंत्र के इस दावे पर भी सवाल उठते हैं कि अगर उस महिला को कोरोना वायरस संक्रमण नहीं था तो उन्हीं के तल पर उनके घर तथा उनके सामने वाले घर में किस तरह कोरोना का संक्रमण फैला ।
सरकारी और प्राइवेट लैब के बीच हो रही इस रस्साकशी से सिर्फ जनता परेशान हो रही है क्योंकि बेहतर सुविधा और विश्वसनीय जांच के लिए वह प्राइवेट लैब की तरफ भाग रही है और सरकारी तंत्र उसको नकार दे रहे हैं सवाल यह भी है कि अगर प्राइवेट लैब के बाद भी सरकारी चिकित्सालय में जांच दोबारा होगी तो फिर जनता को प्राइवेट लैब में टेस्ट के लिए भेजा ही क्यों जा रहा है