उत्तर प्रदेश का शो विंडो कहा जाने वाला गौतम बुध नगर यूं तो अपने हाईटेक निर्माण सुख सुविधाओं के लिए प्रसिद्ध है दुनिया में होने वाली हर बेहतरीन चीजें उपलब्ध है लेकिन अगर सरकारी आंकड़ों की बात करें तो न यहाँ सरकारी स्कूल हैं ना ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं बीते दिनों एक महिला की मौत एंबुलेंस में ही हो गई थी जिसके बाद जिलाधिकारी ने अपनी आख्या रिपोर्ट में तमाम अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया था
ऐसा ही एक केस ग्रेटर नोएडा वेस्ट में में आया है जहां सरकारी अस्पतालों की असंवेदनशीलता और खराब स्थिति के चलते एक पिता छह अस्पतालों में भटकता रहा मगर उसके बच्चे को इलाज नहीं मिला
जिले के कासना स्थित डांडा गांव निवासी गुलशन कुमार के अनुसार उसका पुत्र देव कुमार बुधवार को सुबह 8:00 बजे खेलते हुए दो मंजिला मकान से गिरकर घायल हो गया वह अपने घायल बच्चे को इलाज हेतु लेकर ग्रेटर नोएडा के रिकवरी अस्पताल पहुंचा जहां उसका प्राथमिक उपचार के बाद सीएचसी बिसरख रेफर कर दिया आपको बता दें कि इस सीएचसी बिसरख का उद्घाटन तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह और सांसद महेश शर्मा ने बड़े जोर शोर से किया था लेकिन अस्पताल पहुंचने पर पता लगा यहां सीटी स्कैन और एक्स-रे कक्ष तो है मगर मशीनें आज तक नहीं आई इसके बाद अस्पताल ने ग्रेटर नोएडा के यथार्थ हॉस्पिटल भेजा उसको पता लगा कि यहां सिर्फ इलाज किया जा रहा है जहां से उसे जेल भेज दिया गया वहां पहुंचने पर डॉक्टर ने बताया कि खर्च आएगा जिसके बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया समस्या को तब हुई जब जिला अस्पताल ने बताया यहां भी बाल रोग विशेषज्ञ और सीटी स्कैन सहित अन्य सुविधाएं मौजूद नहीं है इसलिए उसे दिल्ली रेफर कर दिया जहां पर अब उसका इलाज शुरू हुआ इतने हाईटेक शहर नोएडा में अस्पताल अस्पताल घूमते घूमते एक गरीब व्यक्ति के ₹3600 खर्च हो गए
ऐसे में लोगों के सवाल उत्तर प्रदेश सरकार की प्राथमिकता पर उठ रहे हैं लोगों के अनुसार पहला सवाल तो यह है कि सीएससी बिसरख से मरीज को सीधा जिला अस्पताल क्यों नहीं भेजा गया किसी प्राइवेट अस्पताल में रेफर करने वाला डॉक्टर कौन है दूसरी बात यह है कि उत्तर प्रदेश के गौतम बुध नगर जिला जैसे जिले में मायावती और अखिलेश सरकार में ताबड़तोड़ मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल तो बना दिए गए मगर इन इलाकों में गरीब आदमी इलाज कैसे करें जिनके पास पैसा नहीं है उनके लिए योगी सरकार सरकारी अस्पतालों का निर्माण कब करने जा रहे हैं
प्रदेश की योगी सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लाख दावे करें लेकिन सच तो यह है कि बेसिक स्वास्थ्य की सुविधाएं 40 साल बाद भी आम आदमी को इस शहर में उपलब्ध नहीं है बिसरख क्षेत्र के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में जहां आने वाले समय में ढाई लाख से ज्यादा लोग होंगे यहां पर मात्र एक पीएचसी अस्पताल से गरीबों का इलाज सोच लेना न सिर्फ प्रशासन और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी दोनों पर प्रश्नचिन्ह लगाता है बल्कि यहां पर सामाजिक अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले सामाजिक संगठनों पर भी बड़ा सवाल लगाता है जो ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के साथ फोटो सेशन करके अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं किसी भी शहर की बुनियाद बेहतर सरकारी शिक्षा और बेहतर स्वास्थ होती है जिस मामले में ग्रेटर नोएडा वेस्ट का यह पूरा क्षेत्र उत्तर प्रदेश के किसी भी पिछड़े गांव से बहुत पिछड़ा है