अनलॉक 1 में लोगों के लिए एक कोरोना संक्रमित की पुष्टि होने पर पूरे टावर का सील हो जाना बड़ी समस्या बन गया है असल में हाई राइज सोसाइटीज में एक टावर में लगभग 100 फैमिली रहती हैं ऐसे में अगर किसी भी टावर में गलती से एक कोराना संक्रमित निकल जाता है तो प्रशासन इस समय पूरे टावर को सील कर देता है जिसके चलते हमेशा परिवार की नौकरी या व्यापार दोनों 21 दिनों तक बंद हो जाते हैं जिसके खिलाफ आप लोगों की आवाज उठनी शुरू हो गई हैं
प्रशासन के लिए भी एक लगातार बढ़ते केस के कारण समय से टावरों का सील कर पाना मुश्किल होता जा रहा है प्रशासन को एक टावर को सील करने के लिए अपना एक पुलिसकर्मी वह बैठाना होता है अभी तक की जानकारी के अनुसार नोएडा में कुल पुलिसकर्मियों का स्टाफ 600 से 900 लोगों के बीच में और ढाई सौ से ऊपर कंटेनमेंट जोन बन चुके हैं और आगे कितना बढ़ जाएंगे इसकी गारंटी नहीं है ऐसे में हर कंटेनमेंट जोन को सील करने के बाद एक पुलिसकर्मी कहां से आएगा यह बड़ा सवाल है?
बीते दिनों महागुन माइवुड्स में इसके खिलाफ प्रदर्शन हुआ जहां मरीज के घर आने के बाद पूरा टावर सील कर दिया गया लेकिन प्रशासन की चूक गई है या लापरवाही कि 7 दिन तक मरीज के ठीक होकर वापस आने तक यहां सैनिटाइजेशन नहीं हुआ जिसके बाद लोगों ने काफी प्रदर्शन किए असल में कोरोना का मरीज मैक्सिमम 7 दिन में ठीक हो कर वापस आ जाता है लेकिन प्रशासन की अपडेटेड गाइडलाइन अभी तक 14 दिन तक बंद करने की ही हैं
नेफोमा अध्यक्ष अन्नू खान ने कहा कि जैसा जब स्थिति स्पष्ट हो जाए की कोरोना पॉजिटिव अब नहीं है तो तत्काल प्रभाव से टावर की सील को खोल देना चाहिए जिससे कि सैकड़ों लोग जो नौकरी पर जाते हैं उनको असुविधा ना हो क्योंकि कोरोना कोविड-19 के चलते बहुत सी कंपनियां कोई ना कोई बहाना ढूंढती हैं नौकरी से निकालने का, जिससे सोसाइटी निवासियों की नौकरी जाने का खतरा बना रहता है
वही नेफोवा उपाध्यक्ष मनीष कुमार को इस मुद्दे पर प्रशासन के साथ आना भारी पड़ा लोगों ने उनसे पूछ लिया कि आप कौन हैं और आप लोगों के बीच और अथॉरिटी के बीच में हस्तक्षेप किस हक से कर रहे हैं असल में मनीष लोगों के रोष पर उनको गलत ठहराने की कोशिश कर रहे थे जिसके बाद लोगों का गुस्सा उन पर भड़क गया
अरिहंत अम्बर के निवासी पुरूषोतम सती ने इस संदर्भ में ट्विटर पर भी लिखा है। वहीं अमित गुप्ता ने ट्विटर पर प्रशासन से मांग की है कि जब संक्रमित व्यक्ति 7-8 दिन से घर पर रहता है तब संक्रमण का सबसे अधिक खतरा रहता है अब इतने दिनों बाद टॉवर लॉक करना सिर्फ खानापूर्ति से अधिक कुछ भी भी है।
@CMOfficeUP @ChiefSecyUP @dmgbnagar @SdmDadri
— Purushotam Sati (@purushotamsati) June 17, 2020
प्रशासन को टॉवर लॉक करने की गाइड लाइन पर पुनर्विचार करने की जरूरत है क्योंकि जब लॉकडाउन नहीं है तो कोविड कभी भी किसी को भी हो सकता है। एक टॉवर लगातार महीनों तक लॉक रह सकता है जिससे बहुत लोगों को रोजगार का संकट होने वाला है।@DeptGbn
वहीं एक और ट्वीट में लिखा गया है कि अब जब सभी सामान्य जीवन की और जा रहे हैं तब टॉवर लॉक होने की स्थिति में घर पर रहना पड़ेगा और रोजगार का संकट आएगा क्योंकि सभी लोग प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं और सभी की जॉब प्रोफ़ाइल और कंपनी में घर से काम करने की सुविधा नहीं होती है। अब जबकि 3.5 लाख लोग संक्रमित हैं तो टॉवर लॉक करना एक उचित फैसला नहीं हो सकता है और प्रशासन को इस संदर्भ में अपने नियमों पर पुनर्विचार करना चाहिए और सिर्फ संक्रमित का फ्लोर या फ्लैट ही लॉक करना चाहिए।
ग्रेनो वेस्ट की अरिहंत आर्डन सोसाइटी के निवासी प्रशांत शुक्ला का कहना है कि पूरा टावर सील हो जाने से लोगों के आर्थिक स्थिति पर भी फर्क पड़ता है इससे बेहतर होगा कि अगर सरकार जिस घर में कोरोना संक्रमित हो रहे हैं लोग उसी को सील करें । सोसाइटीज में हमारे पास मेंटेनेंस डिपार्टमेंट गार्ड्स सभी लोग हैं तो वह एक या दो तीन घर के लोगों को सभी सामान पहुंचा सकते हैं लेकिन अगर 100 परिवारों को एक साथ बंद कर दिया जाए तो वह हमेशा एक प्रोजेक्ट बन जाता है
वही इको विलेज 1 के निवासी डीके जायसवाल का कहना है कि सरकार को टावर सील करना या मरीज को अस्पताल से रिलीज करने के कामों पर तत्परता बढ़ाने की जरूरत है उन्होंने इको विलेज 1 के एक मरीज के बारे में बताते हुए कहा कि वह मरीज ठीक है 10 दिन से अस्पताल में हैं मगर उनको रिलीज नहीं किया जा रहा है ऐसे में सरकार या प्रशासन कितना लापरवाह है इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं
भाजपा मंडल अध्यक्ष रवि भदोरिया ने लोगों की समस्याओं पर एनसीआर खबर को बताया कि वो लोगो की समस्याओं को लेकर क्षेत्रीय विधायक तेजपाल नागर से मिलकर सरकार को अवगत कराएंगे और उनको आशा है कि जल्दी ही सरकार इसके बारे में फैसला लेगी