रुपिका भटनागर I कोरोना के दौर में लॉक डाउन में हम्मे से कई लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे है I लेकिन आने वाले दिनों में ये भी जॉब का एक परमानेंट तरीका हो सकता है I अब तक आईटी कम्पनियों में ही वर्क फ्रॉम होम का कल्चर रहा है लेकिन लॉक डाउन में कई तरह के उधोगो में भी हुआ है I इन बातो का अहसास सरकार को भी है। सूत्रों के अनुसार, जल्द ही केंद्र सरकार वर्क फ्रॉम फ्राम होम के लिए भी एक मानक बनाकर उसपर गाइडलाइंस जारी कर सकती है।
केंद्र सरकार सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में काम करने वाले कामगारों की हितों की रक्षा के लिए काम के घंटे, काम करने के माहौल और सैलरी जैसी चीजों का मानक तय करती है। अब इसमें वर्क फ्रॉम होम को भी परिभाषित किया जा सकता है
छोटे उधोगो के लिए वर्क फ्रॉम होम उनके बिजनेस में कास्ट को कम करने में भी सहायक हो रहा है I नॉएडा में स्टार्टअप कम्पनी चलने वाले नवीन कुमार कहते है की निश्चित ही इससे कंपनियों के संसाधनों की भी बचत होती है और हमें इससे अपने कस्टमर के सामने बेह्टर सर्विसेज कम दामो में रखने में सहायत होगी
वही लॉकडाउन के चलते वर्क फ्रॉम कर रही नेहा वर्मा कहती है आजकल दफ्तर का सारा काम घर से ही कर रही हूं इसकी वजह से मेरा ट्रैवलिंग टाइम बचता है, जो कि 5 घंटे था लेकिन घर ये काम करने की दूसरी मुसीबत ये है कि ऑफ़िस के काम घंटे फिक्स होते है जबकि इसमें ज्यदा समय देना पड़ रहा है