उत्तर प्रदेश सरकार प्राइवेट स्कूलों के आगे कितनी बेबस है इसका नजारा तब सामने आया जब बीते महीने भर से कोरोना के चलते लॉक डाउन में परेशान लोगो ने प्राइवेट स्कुलो से इस समय भारी भरकम फीस को स्थिति सामान्य होने तक ना लेने की मांग की थी I लोगो की मांग पर भाजपा के तमाम विधायक भी सरकार से फीस माफ़ी की मांग को आगे कर चुके थे I ऐसे में लोगो को उम्मीद थी की दिल्ली सरकार की तरह यूपी सरकार भी जल्द ही कोई रिलीफ देगी I दिल्ली में शिक्षा निदेशालय पहले ही आदेश जारी कर चुका है कि शिक्षण शुल्क को छोड़कर कोई अन्य शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए और इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस संबंध में एक याचिका का निपटारा करते हुए दिल्ली सरकार के एक आदेश का जिक्र किया कि जो छात्र वित्तीय संकट के कारण फीस देने में असमर्थ हैं, उन्हें भी ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ उठाने की अनुमति दी जाएगी।
लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार की प्रमुख सचिव आराधना शुक्ला ने सभी जिला अधिकारी, शिक्षा निदेशक और जिला विद्यालय निरीक्षकों को आज एक आदेश जारी किया जिसमे कहा गया कि पूर्व में जारी किए गए आदेश में कहा गया था कि कोई भी विद्यालय लॉकडाउन पीरियड के दौरान फीस वसूली के लिए दबाव नहीं बनाएगा। अब यह जानकारी आई है कि प्राइवेट स्कूल अभिभावकों से शिक्षण शुल्क के साथ ट्रांसपोर्टेशन फीस भी वसूल कर रहे हैं। जब छात्र स्कूल नहीं जा रहे हैं तो यह मांग उचित है कि उनके अभिभावकों से ट्रांसपोर्टेशन फीस नहीं वसूल की जानी चाहिए। अतः सभी विद्यालय प्रबंधकों को सख्त आदेश दिया जाता है कि वह लॉकडाउन के दौरान अगले 3 महीनों तक ट्रांसपोर्टेशन फीस वसूल नहीं करेंगे।
अब सवाल ये है की क्या सिर्फ ट्रांसपोर्टेशनफीस के अलावा बाकी भारी भरकम फीस इस समय अभिभावकों के उपर थोपी जानी चाहए I आखिर यूपी सरकार दिल्ली की तरह सिर्फ शिक्षण शुल्क तक ही इस आदेश को क्यूँ नहीं लागू कर रही है
वहीं नॉएडा/ ग्रेटर नॉएडा वेस्ट में अभिभावकों का आक्रोश इस बात पर ज्यदा है कि जिन सामाजिक संगठनो के कहने उन्होंने भाजपा को वोट ये सोच कर दिया था की वो उनके हित की सोचेंगे लेकिन ना भाजपा सरकार और ना ही सामाजिक संगठन उनकी समस्याओं पर ध्यान दे रहे है और महीना गुजर जाने के बाद ऐसे तुगलकी फैसले लागू कर रहे है
लोगो का सामाजिक संगठनो पर भी सवाल है की आखिर क्या वो भाजपा की बी टीम बन कर सिर्फ लोगो की समस्याओं पर दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर लिखते है कहीं ये सब प्रशासन/ राजनेताओ से करीबी पाने का खेल ही तो नहीं है क्योंकि ऐसे समय पर माध्यम वर्ग ही इनके कहने पर पैसे दे रहा है , राशन बाँट रहा है , खाना बाँट रहा है लेकिन उसको कोई रिलीफ नहीं मिलता दिख रहा है