कोरोना यानी कोविड 19 लोगों को ही नहीं लोगों के व्यापार को भी बहुत नुकसान पहुंचा रहा है ऐसे में घर-घर तक खबरें पहुंचाने वाले अखबार और उससे जुड़े लोगों की रोजी रोटी को भी कोरो बहुत नुकसान पहुंचा दिया है
सरकार ने जब लॉक डाउन शुरू किया था तो जरूरी वस्तुओं को उससे छूट दी थी ऐसे में लोगों ने कोरो ना के डर से सबसे पहले अपने यहां आ रहे अखबार बंद किए लोगों का अखबारों को लेकर डर इस कदर है कि सोसाइटी के बाहर अखबारों के बंडल के बंडल वापस लौटने शुरू हुए हालत यह है कि इस समय कुल संख्या का 30 परसेंट भी अखबार नहीं बिक पा रहा है अखबारों के वेंडर्स ने अखबार लेने ही छोड़ दिए हैं अखबारों को या तो अपने प्रिंट एडिशन व्हाट्सएप पर भेजने पढ़ रहे हैं या फिर लोगों से अपने अखबार में अपील करनी पड़ रही है की अखबार के जरिए को रोना नहीं फैलता है उससे न्यूज़ आती है
लेकिन अपने स्वास्थ्य और परिवार की जान की सुरक्षा के लिए हैं लोगों का कहना साफ है कि अखबार भले ही कोराना प्रूफ टेक्नोलॉजी से छपता हो लेकिन वह आता तो लोगों के माध्यम से ही है और वह कहां कहां जमीन पर रखा जा रहा है कहां कहां किसके हाथ में जा रहे हैं इसकी कोई गारंटी नहीं है इसलिए जब तक सरकार लॉक डाउन को नहीं खत्म करती है तब तक हम अखबारों को नहीं लेंगे
ऐसे में अखबारों की नजर भी अब 15 तारीख से खुलने वाले लॉकडाउन को लेकर ही है अगर यह लोग डाउन प्रॉपर तरीके से खुलता है तो अखबार वापस लोगों तक पहुंचने शुरू होंगे और पत्रकारों और वंडर्स की लोगो तक वापसी होगी
क्या कोरोना बदलेगा मीडिया बिजनेस की तस्वीर
कोरोना जैसे जैविक वायरस के बाद समाज में जिस तरीके के परिवर्तन आए हैं और जिस चीज का डर है उससे एक नई बहस भी शुरू हो गई है कि क्या अब मीडिया इंडस्ट्री में प्रिंट का दौर खत्म होने वाला है जैविक वायरस के नए दौर में क्या अखबारों को लोग पढ़ना छोड़ देंगे क्या अखबारों का नया विकल्प अब वेब न्यूज पोर्टल्स ही रहेंगे क्योंकि बीते 10 सालों में वेब न्यूज़ पोर्टल ने जिस अपनी रीच मोबाइल के जरिए लोगों तक पहुंचा ली है ऐसे में बदलाव के इस दौर और कोरोना के इफेक्ट से प्रिंट मीडिया का क्या होगा जाने वाला समय बताएगा