मुरली मनोहर श्रीवास्तव I हर उस गुरू को खुशी मिलता है जब उसका पढाया बच्चा ऑफिसर बनता है। परंतु वह खुशी तब कई गुना और बढ जाता है जब वह सफल बच्चा खेतो मे हल चलाने वाले गरीब किसान का बेटा हो। आरके श्रीवास्तव के शैक्षणिक आँगन का विवेक एनडीए से पास होकर अब उड़ाएगा फाइटर प्लेन। विवेक बचपन से ही काफी टैलेंट रहा। प्रत्येक दिन आरके श्रीवास्तव 7 से 8 घण्टे तक विवेक को गणित का गुर सिखाते। आरके श्रीवास्तव कहते है कि विवेक इतना मेधावी था कि थ्योरी बताने के बाद वर्ग 11 वी और 12 वी के गणित को चुटकियो में हल कर देता था। आरके श्रीवास्तव के द्वारा पढाये गए टॉपिक्स कैल्कुलस, अलजेब्रा, ट्रिग्नोमेट्री, कोआर्डिनेट इत्यादि के थ्योरी को विवेक बहुत ध्यान से समझता और उसपर आधारित प्रश्नों को खुद से हल करने का मदद्दा रखता था।
क्या कहते है फ्लाइंग ऑफिसर विवेक के पिता सत्येंद्र सिंह
हौसलों से उड़ान होती है,
जिसकी मेहनत पहचान होती है
बात बस इतनी कुछ ठान लिया जाए,
फिर मंजिल बस कदमो के निशान होती है
जब भी आसमान में किसी विमान को देखता हूं तो ऐसा लगता है कि जैसे मेरा बेटा इस विमान को उड़ा रहा है।यह कहना है उस पिता का जो खुद तो खेत में हल चलाते हैं, लेकिन आज उनका बेटा देश के लिए लड़ाकू विमान उड़ा रहा है। बेटे के इस सफलता को देख माता-पिता तथा मैथेमैटिक्स गुरू फेम आर के श्रीवास्तव जहां खुशी से झूम उठते हैं। वहीं भारत मां के इस लाल पर गर्व हो रहा है।
रोहतास के सूर्यपुरा प्रखंड में पड़रिया नामक एक गांव है और इस गांव के एक मध्यमवर्गीय किसान हैं सत्येंद्र सिंह। सतेंद्र सिंह कहते है कि आरके श्रीवास्तव सर के परिश्रम और लगन काबिले तारीफ है वे स्टूडेंट्स के साथ दिन- रात ऐसे मेहनत करते है कि जैसे उनको खुद ही परीक्षा देना हो। स्टूडेंट्स के साथ दोस्ताना माहौल बनाकर जादुई तरीके से आरके श्रीवास्तव पढ़ाते है गणित। अब उनका बेटा विवेक एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर बन गया है।अब वह देश के लिए फाइटर विमान उड़ा रहा है।
विवेक बचपन से काफी मेधावी छात्र था। अपने लग्न और परिश्रम से विवेक ने एनडीए की परीक्षा पास किया। एयरफोर्स में 22 वां रैंक हासिल करने के बाद अब विवेक फ्लाइंग ऑफिसर बन गया है।
पुणे में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद विवेक को फिलहाल हैदराबाद में तैनात किया गया है। अपनी कामयाबी का श्रेय उन्होंने अपने माता-पिता और अपने शिक्षक मैथेमैटिक्स गुरू आर के श्रीवास्तव को दिया है। विवेक कहते हैं कि माता पिता और गुरू के आशीर्वाद की ही बदौलत आज वो इस मुकाम तक पहुंचे हैं।
ट्रेनिग के बाद विवेक अपने पिता के साथ अपने गुरू आर के श्रीवास्तव से मिलने शैक्षणिक संस्थान आये। विवेक ने आते ही पहले अपने गुरू आरके श्रीवास्तव को मिठाई खिलाया और पुराने दिनों को याद करने लगे की इसी रूम के इसी बेंच से पढ़ाई करके आज हम इस मुकाम तक पहुँचे है। आर के श्रीवास्तव ने विवेक को मिठाई खिलाकर खुशियाँ व्यक्त किये तथा पिता सत्येन्द्र सिह को बेटे के सफलता पर बधाई दिया। तथा विवेक के उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीर्वाद दिया।विवेक का सपना है की वह भविष्य मे सुखोई उड़ाये।आशा है आने वाले वर्षों मे बिहार के यह लाल आपको सुखोई उड़ाते नजर आयेगा।
सैकड़ो प्रतिभाओ के सपने को पंख लगा चुके है आरके श्रीवास्तव—-
सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर गणित पढ़ाते है मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव,
चुटकले सुनाकर खेल-खेल में पढ़ाते हैं । गणित के मशहूर शिक्षक मैथमेटिक्स गुरु फेम आरके श्रीवास्तव जादुई तरीके से गणित पढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। उनकी पढ़ाई की खासियत है कि वह बहुत ही स्पष्ट और सरल तरीके से समझाते हैं। सामाजिक सरोकार से गणित को जोड़कर, चुटकुले बनाकर सवाल हल करना आरके श्रीवास्तव की पहचान है। गणित के लिये इनके द्वारा चलाया जा रहा निःशुल्क नाईट क्लासेज अभियान पूरे देश मे चर्चा का विषय बना हुआ है। पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को गणित का गुर सिखाना कोई चमत्कार से कम नही।
इस क्लास को देखने और उनका शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिए कई विद्वान इनका इंस्टीटूट देखने आते है। नाईट क्लासेज अभियान हेतु स्टूडेंट्स को सेल्फ स्टडी के प्रति जागरूक करने और गणित को आसान बनाने के लिए यह नाईट क्लासेज अभियान अभिभावकों को खूब भा रहा। स्टूडेंट्स के अभिभावक इस बात से काफी प्रसन्न दिखे की मेरा बेटा बेटी जो ठीक से घर पर पढ़ने हेतु 3-4 घण्टे भी नही बैठ पाते, उसे आरके श्रीवास्तव ने पूरे रात लगातार 12 घण्टे पूरे कंसंट्रेशन के साथ गणित का गुर सिखाया। आपको बताते चले कि अभी तक आरके श्रीवास्तव के द्वारा 200 क्लास से अधिक बार पूरे रात लगातार 12 घण्टे स्टूडेंट्स को निःशुल्क गणित की शिक्षा दी जा चुकी है जो आगे जारी भी है।
वैसे आरके श्रीवास्तव का प्रतिदिन क्लास में तो स्टूडेंट्स गणित का गुर सीखते ही है परंतु यह स्पेशल नाईट क्लासेज प्रत्येक शनिवार को लगातार 12 घण्टे बिना रुके चलता है। इसके लिए आरके श्रीवास्तव का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स, इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हो चुका है। आरके श्रीवास्तव गणित बिरादरी सहित पूरे देश मे उस समय चर्चा में आये जब इन्होंने क्लासरूम प्रोग्राम में बिना रुके पाइथागोरस थ्योरम को 50 से ज्यादा अलग-अलग तरीके से सिद्ध कर दिखाया। आरके श्रीवास्तव ने कुल 52 अलग अलग तरीको से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। जिसके लिए इनका नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन में दर्ज चुका है।
वर्ल्ड बुक ऑफ रिकार्ड्स लंदन के छपी किताब में यह जिक्र भी है कि बिहार के आरके श्रीवास्तव ने बिना रुके 52 विभिन्न तरीकों से पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध कर दिखाया। इसके लिए ब्रिटिश पार्लियामेंट के सांसद वीरेंद्र शर्मा ने आरके श्रीवास्तव को इनके उज्ज्वल भविष्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाये भी दिया। इसके अलावा आरके श्रीवास्तव संख्या 1 क्या है, पर शैक्षणिक सेमिनार में घण्टो भाषण देकर अपने प्रतिभा से बिहार को गौरवान्वित कराया।
आरके श्रीवास्तव गणित को हौवा या डर होने की बात को नकारते हैं। वे कहते हैं कि यह विषय सबसे रुचिकर है। इसमें रुचि जगाने की आवश्यकता है।अगर किसी फॉर्मूला से आप सवाल को हल कर रहे हैं तो उसके पीछे छुपे तथ्यों को जानिए। क्यों यह फॉर्मूला बना और किस तरह आप अपने तरीके से इसे हल कर सकते हैं। वे बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही गणित में बहुत अधिक रुचि थी जो नौंवी और दसवी तक आते-आते परवान चढ़ी।
आरके श्रीवास्तव अपने पढ़ाई के दौरान टीबी की बीमारी के चलते नही दे पाये थे आईआईटी प्रवेश परीक्षा। उनकी इसी टिस ने बना दिया सैकड़ो स्टूडेंट्स को इंजीनयर।आर्थिक रूप से गरीब परिवार में जन्मे आरके श्रीवास्तव का जीवन भी काफी संघर्ष भरा रहा।
आरके श्रीवास्तव सिर्फ 1 रुपया गुरु दक्षिणा लेकर पढ़ाते है गणित, प्रत्येक अगले वर्ष 1 रुपया अधिक लेते है गुरु दक्षिणा।सैकड़ो आर्थिक रूप से गरीब स्टूडेंट्स ( सब्जी विक्रेता का बेटा, गरीब किसान, मजदूर ,पान विक्रेता )को आईआईटी, एनआईटी, बीसीईसीई में सफलता दिलाकर बना चुके है इंजीनियर। आज ये सभी स्टूडेंट्स अपने गरीबी को पीछे छोड़ अपने सपने को पंख लगा रहे। वे कहते हैं कि मुझे लगा कि मेरे जैसे देश के कई बच्चे होंगे जो पैसों के अभाव में पढ़ नहीं पाते।
आरके श्रीवास्तव अपने छात्रों में एक सवाल को अलग-अलग मेथड से हल करना भी सिखाते हैं। वे सवाल से नया सवाल पैदा करने की क्षमता का भी विकास करते हैं। रामानुजन, वशिष्ठ नारायण को आदर्श मानने वाले आरके श्रीवास्तव कहते हैं कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के युग में गणित की महत्ता सबसे अधिक है इसलिए इस विषय को रुचिकर बनाकर पढ़ाने की आवश्यकता है। इनके द्वारा चलाया जा रहा वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज भी अद्भुत है, इस प्रोग्राम के तहत नन्हे उम्र के बच्चे जो वर्ग 7 और 8 में है परंतु अपने वर्ग से 4 वर्ग आगे के प्रश्नों को हल करने का मद्दा रखते है। वर्ग 7 व 8 के स्टूडेंट्स 11 वी , 12 वी के गणित को चुटकियो में हल करते है। आरके श्रीवास्तव के वंडर किड्स प्रोग्राम क्लासेज के इन स्टूडेंट्स से मिलने और शैक्षणिक कार्यशैली को समझने के लिये अन्य राज्यो के लोग इनके इंस्टीटूट को देखने आते है।