कल के बाद पप्पू (बकौल राहुल) ओछाँह मार जाएँगे ! अब टीं.वी. पर तो कम से कम कल 10 फरवरी से लेकर चुनाव खत्म होने तक अब प्रमुखता से सिर्फ मोदी और प्रियंका छाए रहेंगे। तथाकथित राफ़ेल घोटाले की खोज के सहारे और अंततः सीने पर पत्थर रखकर राहुल गांधी ने बहन प्रियंका को आगे कर जीतने का इरादा किया है। आखिर कांग्रेस बचेगी तब न राजनीति करेंगे राहुल? फिर यहाँ बचने का नही हर हाल में सत्ता में आने का सवाल है। ये लड़ाई कांग्रेस के जीवन और मरण की है। जीत गए तो सुनहरा भविष्य होगा राहुल के सामने और अगर हार गए तो जो नुकसान उठाना पड़ेगा उसकी कल्पना ही आज की तारीख में कांग्रेस का सबसे बड़ा डर है।
उम्मीद है अब एक पक्ष की आवाज म्यूट नही करेंगे चैनल वाले जैसा कि मोदी और राहुल के भाषण की टाइमिंग एक होने पर होता था। क्योंकि प्रियंका भी खूब सुनी जाएँगी मोदी के पैरलल। क्योंकि वार दोनों तरफ से घातक होंगे। तिलमिलाहट दोनों तरफ होगी। जहाँ एक ओर राहुल और प्रियंका की कमज़ोरी राहुल के जीजाजी हैं तो दूसरी ओर राहुल का राफ़ेल और बहन प्रियंका उनकी ताक़त भी हैं। प्रियंका और मोदी के दिलचस्प जुबानी जंग के बीच चुनाव का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी कौन या फिर कौन-कौन निभाता है, ये देखना भी अद्भुत होगा।…..
चरण दर चरण चुनाव बाजी पलटते दिखेगी क्या? क्योंकि क्लीन स्वीप होते तो न दिखेगा। लिहाजा जीत हार की तस्वीर भी अंतिम चरण तक कुछ साफ होगी…कुल मिलाकर राहुल का भविष्य राहुल के राफ़ेल, बहन प्रियंका और जीजा वाड्रा के हाथ में है। जीजा डुबाएँगे या बहना पार लगाएगी इसका इंतज़ार मई तक करना ही होगा…और हाँ अब प्रियंका-मोदी आमने सामने होंगे न कि राहुल! राहुल अब अमित शाह एंड कंपनी से ही लड़ेंगे। इन सबके बीच ये भी सुनाई देता रहेगा अंत तक..चौकीदार चोर है…उल्टा चोर चौकीदार को डांटे…55 साल बनाम 55 महीने…. बाक़ी तो जनता जनार्दन है!
दिनकर श्रीवास्तव की fb वाल से