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जमात उद दावा पर प्रतिबंध हटाने से लाहौर हाई कोर्ट का इनकार

लाहौर । पाकिस्तान में लाहौर हाई कोर्ट ने गुरवार को मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के दो संगठनों जमात उद दावा [जेयूडी] और फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन [एफआइएफ] को कानून के दायरे में काम करने की अनुमति प्रदान कर दी। साथ ही अदालत ने उसकी सामाजिक कल्याण गतिविधियों पर लगे सरकारी प्रतिबंध हटाने से साफ इनकार कर दिया।

हाफिज सईद की याचिका पर जस्टिस अमीनुद्दीन खान ने आंतरिक मंत्रालय को नोटिस जारी कर 23 अप्रैल तक जवाब तलब किया है। हाफिज सईद ने अपनी याचिका के जरिये सरकारी प्रतिबंध को चुनौती दी है। सुनवाई के बाद अदालत के एक अधिकारी ने उक्त जानकारी दी।

 

हाफिज सईद के वकील एके डॉगर ने मामले की संवेदनशील प्रकृति का हवाला देते हुए पूर्ण पीठ से सुनवाई का आग्रह किया। इस पर जस्टिस खान ने कहा कि पूर्ण पीठ गठित करने का फैसला अगली सुनवाई पर किया जाएगा।

डॉगर ने अदालत से कहा कि आंतरिक मंत्रालय ने 10 फरवरी को एक अधिसूचना जारी कर आतंकवाद निरोधी अध्यादेश–2018 के तहत जेयूडी और एफआइएफ से जुड़ी संपत्तियों का अधिग्रहण और बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान सरकार ने संयुक्त राष्ट्र और भारत समेत विदेशी ताकतों के दबाव में कार्रवाई की है। पाकिस्तान एक स्वतंत्र संप्रभु राज्य है और अपने नागरिकों पर शासन के लिए अपने कानून बनाता है। अगर देश के कानून और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषषद अधिनियम, 1948 के प्रावधानों में कोई विरोधाभास होता है तो देश का कानून ही प्रभावी होगा।’ बता दें कि जेयूडी ही लश्कर ए तैयबा का मूल संगठन है। जून 2014 में अमेरिका इसे विदेशी आतंकी संगठन घोषिषत कर चुका है।

NCR Khabar Internet Desk

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