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ICICI बैंक में चंदा कोचर के कार्यकाल पर RBI को करना है फैसला: वित्त मंत्रालय

नई दिल्ली । अब आरबीआई या फिर आईसीआईसीआई बैंक के बोर्ड को यह तय करना होगा कि उनकी एमडी और सीईओ चंदा कोचर पर अपने पद पर बने रहना चाहिए या नहीं। चंदा कोचर फिलहाल एक लोन के मामले में कर्ज लेने वाले को फायदा पहुंचाने के आरोपों का सामना कर रही हैं। यह जानकारी वित्त मंत्रालय के सूत्रों के जरिए सामने आई है।

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक किसी निजी क्षेत्र के अंदरूनी मामले में दखल देना उनका काम नहीं है, लेकिन आरबीआई एक नियामक के तौर पर कोचर से जुड़े आरोपों पर नजर रख सकता हैं। उसने बताया कि अब आरबीआई को यह फैसला करना है कि वो कोचर को आईसीआईसीआई बैंक का सीईओ एवं मैनेजिंग डायरेक्टर बनाए रखा चाहता है या फिर नहीं। बैंक नियामक का मानना है कि आईसीआईसीआई बैंक की वर्तमान सीईओ के कार्यकाल के संबंध में फैसला लेने के मामले में पूरी तरह सक्षम है। चंदा कोचर पर लगे आरोपों ने बैंक के कार्पोरेट गवर्नेंस पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

रिपोर्टों के मुताबिक, कोचर के पति दीपक कोचर ने वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत के साथ मिलकर अक्षय ऊर्जा में कारोबार करने के लिए एक संयुक्त उपक्रम बनाया था। चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने अपनी हैसियत का फायदा उठाकर वेणगोपाल धूत की कंपनी को लोन बांटा। बाद में धूत ने सुप्रीम एनर्जी का मालिकाना हक सिर्फ 9 लाख रुपए में एक ट्रस्ट ‘पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट’ को दे दिया। दिलचस्प है कि ‘पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट’ के चेयरमैन दीपक कोचर ही थे। यानी धूत की एग्जिट के बाद कंपनी पर पूरा नियंत्रण दीपक कोचर का हो गया था। आईसीआईसीआई बैंक की क्रेडिट समिति ने साल 2012 में विविध वीडियोडॉन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण देने का फैसला किया था।

NCR Khabar Internet Desk

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