गुर्जरों के गढ दादरी में डाॅ महेश शर्मा की सेंध – आकाश नागर

दादरी को गुर्जरों की राजधानी कहा जाता है ।गुर्जरों का गढ भी । लेकिन इस गढ में अब यहाँ के सांसद और केन्द्रीय मंत्री डॉ महेश शर्मा ने सेंध लगा दी है । आज दादरी से भाजपा कैंडीडेट गीता पंडित की जीत ने यह साबित भी कर दिया है । डॉ महेश शर्मा के ऊपर गुर्जर विरोधी का ठप्पा तब लगा था जब उन्होंने नोएडा से नवाब सिंह नागर का टिकट कटवाकर बिमला बाथम को दिलवाया था । उसके बाद तो शर्मा पर नान गुर्जर को सपोर्टिंग के आरोप लगाए जाने लगे थे । हालांकि ऐसे आरोपों से निजात पाने के लिए उन्होंने मास्टर तेजपाल नागर को गत विधानसभा चुनावों में भाजपा से टिकट दिलवाया था । कूछ दिनों पूर्व भाजपा के ही नेताओं ने दो आडियो क्लिपिंग वायरल किए थे । जिसमें डॉ महेश शर्मा गुर्जरों को अपमानित करने की भाषा का प्रयोग करते सुनाई दिए थे । इस बाबत डॉ शर्मा ने इस आडियो क्लिपिंग को फर्जी करार दिया था और कहा था कि इसे एडिट करके “सारे” की जगह “साले” कर दिया गया था । हालांकि कुछ गुर्जरों ने उनकी इस दलील को स्वीकार किया और कुछ ने खारिज कर उन्हें गुर्जर विरोधी मानना बरकरार रखा । फिलहाल निकाय चुनावों में एक बार फिर दादरी से डाॅ महेश शर्मा ने गीता पंडित की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर अपने उन विरोधियों को पटखनी दे दी है जो जातिगत राजनीति में मतदाताओं को उलझाकर बसपा कैंडीडेट की जीत के दावे कर रहे थे । डाक्टर महेश शर्मा ने गुर्जरों के गढ दादरी में पहले उनके पति विजय पंडित और अब गीता पंडित को फतह हासिल करा कर राजनीति का नया अध्याय लिख दिया है । इससे समाज के तथाकथित ठेकेदारों को परेशानी होना स्वाभाविक है । वही दूसरी तरफ डॉ महेश शर्मा के बारे में यह भी कहा जाने लगा है कि वह गुर्जर सीटों का समीकरण बिगाडने में लगे हैं । पहले नोएडा सीट को गुर्जरों की सीट कहा जाता था । वहां सबसे सशक्त उम्मीदवार नवाब सिंह नागर को ही माना जाता था । लेकिन जिस राजनीतिक चतुराई से उन्होंने इस सीट पर लगे गुर्जरों के ठप्पे को मिटा दिया है । उससे कहा जाने लगा है कि ऐसा ही वह गौतमबुद्ध नगर की हर सीट पर नान गुर्जर का समीकरण फिट कर देंगे । राजनीतिक लोगों का तो यहां तक कहना है कि अगर डॉ महेश शर्मा को विधानसभा चुनावों से पूर्व यह अंदाजा हो जाता कि प्रदेश में भाजपा की लहर चलेगी तो मोदी की आंधी में वह दादरी सीट से मास्टर तेजपाल नागर का टिकट कराने की बजाय किसी पंडित का ही कराते । लेकिन वह हवा का रूख पहचान नही पाए और मजबूरीवश टिकट मास्टर तेजपाल नागर को दिलवा बैठे । वही दूसरी तरफ इसे मंत्री डॉ महेश शर्मा की अपने ऊपर लगा गुर्जर विरोधी ठप्पा हटाने की कूटनीतिक चाल भी माना गया । बहरहाल गीता पंडित की दादरी में हुई जीत ने डॉ महेश शर्मा को पहले से ज्यादा मजबूती प्रदान की है । इस मजबूती के बलबूते वह अपने विरोधियों को किस तरह पटखनी देंगे यह तो आने वाले 2019 के लोकसभा चुनावों में ही पता चल पाएगा । फिलहाल गीता पंडित की जीत से जहाँ शहर में जश्न मनाया जा रहा है वही दूसरी तरफ कुछ नेता इसे अपनी राजनीतिक हत्या मान शोक मनाने में लगे हैं । क्योंकि उन्होंने गीता पंडित को हराने के लिए साम – दाम , दंड – भेद सभी दावपेचों का खूब इस्तेमाल किया । यह वही लोग हैं जो पिछले कई दिनों से दादरी में यह हवा बनाए हुए थे कि यहाँ से बसपा की सीट निकल रही है । लेकिन डाॅ महेश शर्मा ने उनके हवाई दावे की हवा ही निकाल दी है ।

पत्रकार आकाश नागर के फेसबुक वाल से