इसके साथ ही एनजीटी ने दिल्ली सरकार से वो चिट्ठी दिखाने को कहा जिसके आधार पर ऑड-ईवन लागू किया जा रहा है। एनजीटी ने ये भी पूछा कि क्या आपने एलजी से इस बारे में अनुमति ली है। ट्रिब्यूनल ने दिल्ली सरकार को ये भी बताने को कहा कि आखिर एक इंसान दिन में कितनी बार सांस लेता है।
कोर्ट ने ये भी कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड(सीपीसीबी) ने दिल्ली सरकार को पहले ही इस भयावह स्थिति के बारे में मौखिक रूप से अवगत करा दिया था लेकिन सरकार ने इससे इनकार कर दिया।
एनजीटी ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा कि वो एक बड़े शहर का नाम बताएं जिसका पीएम 10 लेवल 100 से कम है। ट्रिब्यूनल ने दिल्ली को फटकार लगाते हुए कहा कि सरकार उसके उसके धैर्य की परीक्षा ना लें।
आगे बोलते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि आंकड़े दिखाते हैं कि बारिश से प्रदूषण के स्तर में कमी आती है तो फिर कृत्रिम बारिश क्यों नहीं करवाई गई? अब जब एनजीटी ने कहा है तो पानी का छिड़काव करवाया जा रहा है।