मेरठ में चुनाव के लिए निजी वाहन को अधिग्रहित करने के आरोपों में डीएम बी चंद्रकला

सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने आरोप लगाया कि शहर में चुनाव के नाम पर पुलिस लोगों से उनकी निजी गाड़ियां जबरन छीन रही है। निजी गाड़ियों को परिवहन विभाग भी डीएम के हस्ताक्षर से धड़ाधड़ अधिग्रहण नोटिस जारी कर रहा है। कल शाम मौत में शामिल होने के लिए सहारनपुर जा रहे एक परिवार की महिलाओं को कमिश्नर आवास चौराहे पर उतारकर गाड़ी को पुलिस लाइन में भेज दिया गया। उन्होंने इस जबरदस्ती और मनमानी को बंद करने की मांग की। मेरठ-हापुड़ लोकसभा सीट से सांसद राजेंद्र अग्रवाल के पास स्कॉर्पियो गाड़ी (यूपी-15, बीएन-4334) है, दो दिन पहले उनके चाणक्यपुरी स्थित आवास पर थाना नौचंदी का सिपाही अधिग्रहण नोटिस लेकर गया था। नोटिस में गाड़ी न देने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 167 के तहत दंडनीय अपराध है। जिसमें एक साल का कारावास और अर्थदंड लगाने की चेतावनी दी गई है।
लोगो का आरोप है की डीएम बी. चन्द्रकला की मनमानी से चुनाव के लिए शहर के कोने-कोने में लोगों की निजी गाड़ियां जबरन छीनी जा रही हैं। आम जनता को नोटिस देकर उन्हें पुलिस लाइन में बुलाया जा रहा है। चुनाव में लग्जरी गाड़ी न देने पर जेल भेजने की धमकी भी दी जा रही। जिला प्रशासन के नोटिस के विरोध में दर्जनों लगों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए परिवहन अधिकारियों का घेराव भी किया। आम लोगों की बात तो दूर, मेरठ के स्थानीय सांसद की स्कॉर्पियो गाड़ी को भी जिला प्रशासन और परिवहन विभाग ने नहीं छोड़ा। इस गाड़ी का अधिग्रहण नोटिस भी थाना नौचंदी के सिपाही से सांसद के घर भेज दिया गया। जिसमें गाड़ी न देने पर एक साल के कारावास और अर्थदंड की चेतावनी दी गई है।
वहीं इस संदर्भ में कानून के जानकारों का कहना है कि चुनावी दौर में अगर डीएम को गाड़ियों का अधिग्रहण करना है तो वो सिर्फ कॉमर्शियल वाहनों का आधीग्रहण कर सकते है। लेकिन अगर किसी निजी वाहन का अधिग्रहण किया जा रहा है तो वह पूर्णतह अवैध है और मनमानी है। विधानसभा चुनाव के लिए जिला प्रशासन और परिवहन विभाग द्वारा निजी वाहनों के अधिग्रहण में मनमानी और जबरदस्ती पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। बागपत के एक वाहन मालिक की याचिका पर कोर्ट ने कहा है कि वाहन मालिक को निजी वाहन के साथ संबंधित अधिकारी के सामने पेश होने की जरूरत नहीं है। साथ ही स्टेंडिंग काउंसिल से दिशा निर्देश प्राप्त करके कोर्ट में जानकारी देने के लिए कहा।
कोर्ट ने कहा कि व्यवसायिक वाहनों को चुनाव की मतपेटी और कर्मचारियों को लाने और ले जाने के लिए अधिग्रहीत किया जा सकता है। लेकिन निजी वाहन को नहीं। विधानसभा चुनाव के लिए जिला प्रशासन और परिवहन विभाग द्वारा जबरन निजी वाहनों का अधिग्रहण करने के विरुद्ध बागपत के सुमित सिंह ने हाईकोर्ट में अपील की। उन्होंने अपनी निजी फॉर्च्युनर गाड़ी के जबरन अधिग्रहण पर आपत्ति की थी। जस्टिस तरुण अग्रवाल और जस्टिस अभय कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि जनसेवा और ट्रांसपोर्ट कार्यों में लगे व्यवसायिक वाहनों का चुनाव के लिए अधिग्रहण किया जा सकता है। लेकिन निजी वाहन को किराए और उपहार के लिए अधिग्रहण नहीं किया जा सकता।