एनसीआर खबर डेस्क I गौतमबुद्ध नगर की नॉएडा विधानसभा की सीट पर जैसे ही कल भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह का ऐलान हुआ वैसे ही चारो और से खशी कम विरोध ज्यदा होने लगा I गौतम बुध नगर की राजनीती को थोडा सा भी समझने वाले लोगो की पहली प्रतिक्रया यही थी की आखिर पंकज ही को क्यूँ ? क्या पंकज सिंह नॉएडा के लिए इतने बेगाने हैं की लोग उनसे कनेक्ट नहीं कर पा रहे है या फिर ये सिर्फ भाजपा में राजनाथ सिंह और डा महेश शर्मा के अधिकार की लड़ाई है ? इसको समझने से पहले ज़रूरी है की नॉएडा विधान सभा सीट का एक आंकलन समझा जाए
नोएडा की लोकेशन
हिंडन और यमुना नदी के बीच बसे दोआब इलाके में बड़े संवेदनशील वोटर हैं। यहां फ्लो पॉपुलेशन रहती है। 50 पर्सेंट वोटर ऐसे हैं जो दिल्ली में काम करते हैं और नोएडा में रहते हैं। लगभग 40 पर्सेंट वोटर ऐसे हैं जो दिल्ली में रहते हैं और नोएडा में सिर्फ काम करने आते हैं। ऐसे माहौल में नोएडा के वोटरों पर दिल्ली व राष्ट्रीय राजनीति की छाप हावी है। केंद्रीय सेवाओं में काम करने वाले या रिटायर कर्मचारियों से जुड़े परिवारों की तादाद नोएडा में करीब 2 लाख है। इसी तरह सैन्य सेवाओं से जुड़े 5 हजार परिवारों के 25 से 30 हजार वोटर भी इन चुनावों में अहम भूमिका निभाएंगे। इसके एक तरफ इंदरापुरम जैसा इलाका तो दूसरी तरफ दक्षिण दिल्ली व पूर्वी दिल्ली का बॉर्डर आता है।
नॉएडा की राजनीती
नोएडा जिले के अंतर्गत आने वाली विधानसभा संख्या 61 और सदर सीट है नोएडा। साल 2012 के आंकड़ों के मुताबिक इस विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 4 लाख 28 हजार 259 है। जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 2 लाख 49 हजार 289 है। जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 1 लाख 78 हजार 970 है। सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव साल 2012 में हुए। जिसमें बीजेपी के वर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने जीत दर्ज की थी। लेकिन महेश शर्मा ने 2014 में सीट छोड़ दी। और राष्ट्रीय राजनीति में चले गए। केंद्र में उन्हें मंत्री बना दिया गया। वे यहां के सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं।
नोएडा विधानसभा का जातीय गणित
एक आंकलन के अनुसार नोएडा विधानसभा एरिया के लगभग 50 पर्सेंट वोटर शहरी, करीब 50 पर्सेंट ग्रामीणइलाके व झुग्गी एरिया में रहते हैं। इनके बावजूद यहांं 23 % ब्राह्मण, 8 %ठाकुर, 5 % वैश्य, 4 %सिख, 7 % मुस्लिम, 16 % गुर्जर, एक 1% जाट, 6 % यादव, 3 % सैनी, 3 % ईसाई, 4 % कायस्थ व १% कुम्हार के अलावा आधा-आधा पर्सेंट नाई-धोबी, 12 पर्सेंट एससी-एसटी व 6 पर्सेंट अन्यजातियां शामिल हैं।
कौन कौन है मैदान में , क्या है गणित
नॉएडा में मुख्य रूप से 3 दलों की लड़ाई है जिनमे भाजपा अब तक १ लाख के करीब वोट पाती रही है वही समाजवादी पार्टी से सुनील चौधरी उम्मीदवार है, सपा को पिछले दो चुनावों में ४२ हजार के करीब वोट मिले थे I वही बसपा से रविकांत मिश्रा मैदान में है I बसपा कभी भी तीसरे स्थान से आगे नहीं बढ़ी हैं लेकिन ब्राह्मण वोट अगर ब्ज्पा से बसपा जाए और ठाकुर वोट सपा और भाजपा में बटेगा तो पंकज सिंह को भाजपा को मिलने वाले १ लाख वोट को पाना आसान नहीं रहेगा
बदले हालत से क्या होगा
मौजूदा हालात में पंकज सिंह के लिए जीत मायने रखती है I नॉएडा में शहरी वोटर भाजपा का समर्थक है I लेकिन १ लाख ब्राह्मण वोट के लिए पंकज सिंह को डा महेश शर्मा पर निर्भर रहना पड़ेगा I २०१२ से ही डा महेश शर्मा ने नॉएडा की राजनीती में अपनी पकड़ बनाए रक्खी है ,इसलिए बिना उनके सीट पर आगे आ पाना इतना आसान नहीं होगा I पंकज सिंह की जीत से नॉएडा के नेताओं के भविष्य पर भी एक सवाल खड़ा होगा क्योंकि ब्राह्मण और ठाकुर की राजनीती में पंकज अगर इस जीत से आगे निकलेंगे तो ये बाकियों के लिए पचा पाना आसान नहीं होगा I संजय बाली , कैप्टन विकास गुप्ता जैसे चेहरों को साधाना भी पंकज सिंह के लिए एक महत्वपूर्ण घटक होगा I हालाँकि पिटा राजनाथ सिंह की मजबूत छवि का प्रभाव उन्हें इनको साधने में आसानी दे एकता है I लेकिन बेहद कम समय में नॉएडा की स्थानीय कैडर का कितना साथ पंकज को मिल पायेगा ये वक्त ही बताएगा