रीयल एस्टेट कंपनी यूनिटेक लिमिटेड ने शुक्रवार (12 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वो नोएडा और गुड़गांव की में देरी से चल रही दो परियोजनाओं में फ्लैट खरीदारों को पैसा नहीं लौटा सकती। यूनिटेक की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा तथा न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ के समक्ष कहा, ‘हमारे पास पैसा नहीं है। यदि हमारे पास पैसा होता तो हम फ्लैट और बिल्डिंग बनाकर उन्हें दे देते।’
पीठ ने सिंघवी से कहा कि कंपनी को निवेशकों का पैसा लौटाना होगा। पीठ ने रिफंड पाने के इच्छुक फ्लैट खरीदारों से यह ब्योरा देने को कहा है कि उन्हें बिल्डर से कितना पैसा लेना है। यूनिटेक की नोएडा की बरगुंडी तथा गुड़गांव की विस्तास परियोजना के कुछ फ्लैट खरीदारों के वकील ने पीठ से कहा कि वे अपना पैसा नहीं चाहते हैं, बल्कि फ्लैट चाहते हैं। पीठ ने फ्लैट खरीदारों से 17 अगस्त तक इसका ब्योरा देने को कहा है।
एक अन्य बिल्डर पार्श्वनाथ डेवलपर्स ने पीठ से कहा कि उसने ग्रेटर नोएडा परियोजना के 70 खरीदारों को पैसा लौटाने की समयसीमा तैयार कर ली है। यूनिटेक की नोएडा और गुड़गांव की आवासीय परियोजना के दो दर्जन से अधिक खरीदारों ने बिल्डर द्वारा उन्हें समय पर फ्लैट का आवंटन नहीं करने पर राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग से संपर्क किया था। उपभोक्ता फोरम ने रीयल एस्टेट केंपनी से खरीदारों का पैसा ब्याज के साथ लौटाने को कहा था।
शीर्ष अदालत ने पिछले महीने कंपनी को न्यायालय की रजिस्ट्री में पांच करोड़ रुपए का अंतरिम जुर्माना जमा करने का निर्देश दिया था। कंपनी ने उपभोक्ता फोरम के आदेश को चुनौती दी थी। फोरम ने डेवलपर को बरगुंडी परियोजना के तीन खरीदारों को पांच करोड़ रुपए का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया था।