दलितों के सामाजिक आर्थिक सशक्तीकरण पर जोर देते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है कि भाजपा सरकार के दौरान दलितों पर उत्पीड़न बढ़े हैं। जबकि 55 वर्ष तक देश पर कांग्रेस का शासन रहा और उस दौरान दलितों के सामाजिक और आर्थिक विकास की चिंता की गई होती, तब आज ऐसी घटनाएं नहीं होती।
गृहमंत्री ने कहा कि गोरक्षा या किसी अन्य विषय के नाम पर दलितों या किसी का भी उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी और वे राज्य सरकारों से भी इस बारे में आग्रह करते हैं। दलितों पर अत्याचार के विषय पर लोकसभा में नियम 193 के दौरान चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के 70 वर्ष गुजर गए और इसके बाद भी दलितों के उत्पीड़न पर चर्चा करना मन में टीस और पीड़ा उत्पन्न करता है। वह भी ऐसे देश में जहां वसुवैध कुटुंबकम का दर्शन हो, वहां आर्थिक और सामाजिक रूप से पीछे रह गए लोगों का उत्पीड़न अत्यंत पीड़ादायक है।
उन्होंने कहा कि दलितों का उत्पीड़न एक विकृत मानसिकता का परिचायक है और हमें इस विकृत मानसिकता को खत्म करना है। देश के विकास के लिए जातिवाद और संप्रदायवाद को खत्म करने की जरूरत है। राजनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश कई अनेक राज्यों में दलितों के उत्पीड़न की घटनाएं सामने आई हंै। वे इनसे किसी राजनीतिक दल को नहीं जोड़ना चाहते हैं। लेकिन अब यह भ्रम पैदा किया जा रहा है कि भाजपा सरकार के आने पर दलितों के उत्पीड़न के मामले बढ़े हैं। यह गलत है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए राजनाथ बोले- आप कोई भी बात सरकार के आंकड़ों या किसी अंतरराष्ट्रीय एजंसी के आंकड़ों के आधार पर कह सकते हैं। सरकार के आंकड़े सामने हंै। आपके (कांग्रेस) पास कोई अंतरराष्ट्रीय आंकड़े हैं तो पेश करें। प्रमाण दीजिए। आपने 55 वर्षों तक देश पर राज किया। आप जो इतने वर्षो में नहीं कर सके, वह हमने दो वर्षो में कर दिखाया। गृहमंत्री के जवाब के दौरान कांग्रेस और वामदलों ने सदन से वाकआउट किया।
इससे पहले देश के विभिन्न हिस्सों में दलितों पर अत्याचार पर केंद्र सरकार की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए विपक्षी कांग्रेस, वामदलों और अन्य पार्टियों ने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए बजटीय आबंटन में कटौती की गई है। साथ ही खुलासा किया कि देश की एक चौथाई आबादी वाले इन वर्गों के लोग आज भय के वातावरण में जी रहे हैं।
विपक्ष के हमले का भाजपा ने पलटवार किया और कहा कि केवल आंकड़ों का उल्लेख करने से दलितों के उत्पीड़न को खत्म नहीं किया जा सकता है क्योंकि आजादी के बाद से कांग्रेसी और गैर भाजपा शासित राज्यों में दलितों पर जघन्य अत्याचार के मामले बढ़े हैं। जरूरत इस बात की है कि हम सब मिलकर दलितों के उत्पीड़न के स्रोत और विचारधारा को तोड़ें।
लोकसभा में दलितों पर अत्याचार के बारे में चर्चा पी करुणाकरण और शंकर प्रसाद दत्ता के प्रस्ताव पर नियम 193 के तहत हुई। शुरुआत माकपा के पीके बीजू ने की। उन्होंने कहा कि भारत आज दुनिया में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है, लेकिन दलितों पर अत्याचार की घटना बदस्तूर जारी हैं। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रत्येक 18 मिनट में दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामले आते हैं। उन्होंने इस संदर्भ में गुजरात के उना में दलितों पर हमला, उत्तरप्रदेश और बिहार में दलित उत्पीड़Þन की घटनाओं का जिक्र किया।
केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि दलितों की समस्या राजनीतिक नहीं है और केंद्र सरकार इस वर्ग को सामाजिक और आर्थिक आजादी देने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि दलितों को दया का पात्र नहीं बनाना चाहिए। पासवान ने कांगे्रस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि विपक्षी पार्टी ने जान-बूझकर शुरू से अांबेडकर को अपमानित किया और उन्हें लोकसभा में नहीं आने दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ करते हुए कहा कि वे पहले प्रधानमंत्री हैं जो मध्य प्रदेश के महू में भीमराव अांबेडकर के जन्मस्थान पर गए।
कांग्रेस पर दलितों पर उत्पीड़न के विषय को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी ऐसी घटनाएं सबके लिए शर्मनाक हैं और इसकी आड़ में किसी खास राज्य, पार्टी और नेता को निशाना बनाना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि गुजरात में दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी। लेकिन उत्तरप्रदेश, बिहार में भी घटनाएं हुर्इं। बसपा प्रमुख मायावती का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार, किसने कहा? इसलिए राजनीतिक रंग नहीं दिया जाए।
नायडू ने कहा कि कुछ नेता केवल गुजरात गए , लेकिन केरल में भी जघन्य घटना हुई। कर्नाटक में भी घटना हुई। लेकिन वहां नहीं गए। कोई घटना हरियाणा में आपके शासन (कांग्रेस) में घटी तब आप चुप रहे। लेकिन हमारे समय में कुछ बातें सामने आई तब आप आक्रामक हो गए।
कांग्रेस केके एच मुनियप्पा ने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार के दौरान देश में दलितों के खिलाफ अत्याचार के अब तक के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। अगर इस तरह दलितों पर अत्याचार पर सरकार मौन रही तो 2019 के चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनना तय है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के शासनकाल में दलित भयमुक्त होकर जीवनयापन कर रहे थे।
भाजपा के उदित राज ने कहा कि दलितों के उत्पीड़न के मामले में वे भाजपा बनाम कांग्रेस या कांग्रेस बनाम बीजद के जाल में नहीं पड़ना चाहते हैं। आरोप-प्रत्यारोपों से दलितों के उत्पीड़न को कम नहीं किया जा सकता है। यह केवल कानून और व्यवस्था का प्रश्न नहीं बल्कि सामाजिक सोच का प्रश्न है। और हमे इस जड़ता को समाप्त करना होगा। उदित राज ने दलित नेता मायावती के खिलाफ आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने दलितों के हितों की ठेकेदारी ले रखी है जबकि बतौर मुख्यमंत्री उनके कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में दलित विरोधी काम अधिक किए गए।
उदित राज ने निजी क्षेत्र में अनुसूचित जातियों को आरक्षण की व्यवस्था की मांग के साथ ही कहा कि धर्माचार्यों को इस भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए। अनुसूचित ईसाइयों का मामला उठाते हुए अन्नाद्रमुक केके गोपाल ने इस समुदाय के लोगों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के प्रोफेसर सौगत राय ने आंकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि 2014 में दलितों के खिलाफ अत्याचार के 47 हजार मामले सामने आए और इनमें उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 8075 , राजस्थान में 8028 जबकि पश्चिम बंगाल में बाकी राज्यों के मुकाबले 500 गुना कम यानी केवल 159 मामले ही प्रकाश में आए।
विश्व हिंदू परिषद और राष्ट्रीय गोरक्षक दल पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए सौगत राय ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हैदराबाद में सात अगस्त को दिए गए बयान का स्वागत करते हैं। लेकिन सवाल यह है कि उन्हें गुजरात की दलित उत्पीड़न की घटना के बाद प्रतिक्रिया देने में 26 दिन का समय क्यों लग गया? उन्होंने कहा कि आज देश में असहिष्णुता का माहौल बन रहा है। बीजद के भर्तृहरि महताब ने कहा कि आज देश में चैतन्य महाप्रभु, कबीर, गुरु नानक देव, दयानंद सरस्वती जैसे समाज सुधारक नहीं हैं। भारतीय समाज वोट बैंक की राजनीति में बंट गया है।
शिवसेना के सदाशिव लोखंडे ने कहा कि दलितों पर अत्याचार राजनीति से प्रेरित अधिक होते हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में दलित बच्चों को शिक्षा दी जानी चाहिए। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि दलित समाज भीमराव अांबेडकर को अपना आदर्श मानता है और कांग्रेस ने आंबेडकर को भुला दिया। इसलिए यह समाज कांग्रेस से दूर होता जा रहा है और भाजपा के करीब आ रहा है इसलिए विपक्षी पार्टी को परेशानी हो रही है।
कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि सुख के समय में नहीं बल्कि दुख के समय में जनता के साथ रहे। दलितों के उत्पीड़न पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान बेबसी भरा है जबकि उन्होंने स्वयं को चौकीदार बताया था। चर्चा में वाइएसआर कांग्रेस के वाराप्रसाद राव, जद (एकी) के कौशलेंद्र कुमार और राजद से निष्कासित राजेश रंजन आदि सदस्यों ने भी भाग लिया।