कांग्रेस, विपक्ष और वामपंथी मीडिया को समझ आया कि– सरकार का नजरिया और नीति में क्या बदलाव आया – सुभाष चंद्रा
कांग्रेस, विपक्ष और वामपंथी मीडिया को समझ आया कि– सरकार का नजरिया और नीति में क्या बदलाव आया —
कांग्रेस सरकार ने 60 साल में कभी कथित “आज़ाद कश्मीर” को मुक्त करा कर भारत में मिलाने के बात नहीं की –मगर डॉ जीतेन्द्र सिंह और राजनाथ सिंह के राज्य सभा में बोलने के बाद प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने खुल कर बोल दिया –POK भारत का अभिन्न अंग है –हालाँकि संसद ने इस विषय में प्रस्ताव पास किया हुआ है —
ये होता है बदलाव, परिवर्तन नीतियों में –पाकिस्तान रोज रोज कश्मीर का रोना रोता है मगर मोदी जी ने सन्देश दे दिया कि कश्मीर भूल जाओ और अब POK लौटाना पड़ेगा –ससुर नमाज छुड़ाने चला था मोदी ने मगर रोज़े गले बाँध दिए —
दुर्भाग्य तो इस बात का है कि कांग्रेस विपक्ष वामपंथी मीडिया और यहाँ तक अदालतें भी सेना का मनोबल गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ रहीं –AFSPA के रहते हुए कश्मीरी लड़के सेना पर पत्थरबाजी और पेट्रोल बमों से हमला करते हैं –मगर विपक्ष इस AFSPA को हटाने की जिद पर अड़ा रहता है –सोचो अगर AFSPA के चलते कश्मीरियों का इतना दुस्साहस है तो इसके हटने के बाद क्या होगा —
पिछले दिनों जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने पैलेट गन को इस्तेमाल ना करने का आदेश दिया और अब सुप्रीम कोर्ट ने टिपण्णी की है कि कश्मीर में Humane Touch की कमी है —
हमारे स्वघोषित कश्मीर विशेषज्ञों (जिनमे राजनितिक दल, मीडिया और अदालतें शामिल हैं) को सलाह है कि कश्मीर के हालात को सम्हालने के लिए क्या करना उचित है –ये सेना पर छोड़ देना चाहिए —
और अगर नहीं छोड़ सकते तो सेना के साथ पत्थर और पेट्रोल बम के हमले झेलने के लिए सेना साथ खड़े होने की हिम्मत दिखाओ -कभी सियाचिन और लद्दाख में -40 डिग्री पर बर्फ में सेना के साथ खड़े होने की हिम्मत दिखाओ —
इन विशेषज्ञों को ज्ञात नहीं है कि जम्मू कश्मीर को पिछले 67 साल में 4.66 लाख करोड़ रुपया दिया जा चूका है –मगर आज भी कश्मीर में कश्मीरियों का विश्वास जीतने के प्रयासों में कमी बतायी जाती है –जम्मू कश्मीर की सरकारें इतना पैसा मिलने के बाद भी अपने लोगों के लिए रोजगार पैदा नहीं कर सकी–
जम्मू कश्मीर में कश्मीरियत, जम्हूरियत और इंसानियत की परिभाषा भी आज बदलने की जरूरत है –ये कैसी कश्मीरियत और इंसानियत है कि कश्मीर से पंडितों और हिन्दुओं को खदेड़ कर बाहर कर दो –और ये कैसी जम्हूरियत है कि जिसके दम पर आम इंसानों पर अत्याचार किये जाएँ और सेना पर दुश्मन समझ कर हमले किये जाएँ —
कोई राजनितिक दल, मीडिया और अदालतें सेना का मनोबल गिराने की कोशिश ना करे –क्योंकि उस सेना की बदौलत ही आप सब लोग सुरक्षित बैठे हैं–कश्मीरी सेना पर पत्थरबाजी करते हैं और राजनितिक दल मीडिया और अदालतें सेना पर अलग तरह की पत्थरबाजी कर रहे हैं –इसके परिणाम भयानक भी हो सकते हैं —
सुभाष चंद्रा