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‘दिल्ली नहीं मान सकती गृहमंत्रालय का आदेश’

दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच तकरार सोमवार को और बढ़ गई। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि जो दिल्ली अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल सर्विसेज (दानिक्स) के दो अधिकारियों (विशेष गृह सचिव) के निलंबन को रद्द करने का आदेश गृहमंत्रालय ने दिया है, उसे दिल्ली सरकार नहीं मान सकती।

उपमुख्यमंत्री ने तर्क में कई कानूनी प्रावधान, न्यायालय में अधिकार क्षेत्र की लड़ाई चलने और दिल्ली के गृहमंत्री को विशेष गृह सचिव का बॉस बताया है। वहीं गृहमंत्रालय के निलंबन रद्द का दिन में आदेश किए जाने पर भी सवाल उठाए हैं जबकि सीबीआई ने जिस आईएएस एसपी सिंह को पकड़े उसके निलंबन का आदेश जारी करने में 15 दिन लग गए।

मनीष सिसोदिया ने राजनाथ सिंह को लिखे गए चार पेज के पत्र में कहा है कि अगर गृहमंत्रालय की तरफ से दोनो दानिक्स अधिकारियों के निलंबन को अवैध और गैर कानूनी करार दिए जाने की व्याख्या (इंटरप्रेटेशन) को ठीक मान लें तो दिल्ली सरकार को पंगु बनाने का काम करेगा।दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच तकरार सोमवार को और बढ़ गई। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि जो दिल्ली अंडमान निकोबार आइलैंड सिविल सर्विसेज (दानिक्स) के दो अधिकारियों (विशेष गृह सचिव) के निलंबन को रद्द करने का आदेश गृहमंत्रालय ने दिया है, उसे दिल्ली सरकार नहीं मान सकती।

उपमुख्यमंत्री ने तर्क में कई कानूनी प्रावधान, न्यायालय में अधिकार क्षेत्र की लड़ाई चलने और दिल्ली के गृहमंत्री को विशेष गृह सचिव का बॉस बताया है। वहीं गृहमंत्रालय के निलंबन रद्द का दिन में आदेश किए जाने पर भी सवाल उठाए हैं जबकि सीबीआई ने जिस आईएएस एसपी सिंह को पकड़े उसके निलंबन का आदेश जारी करने में 15 दिन लग गए।

मनीष सिसोदिया ने राजनाथ सिंह को लिखे गए चार पेज के पत्र में कहा है कि अगर गृहमंत्रालय की तरफ से दोनो दानिक्स अधिकारियों के निलंबन को अवैध और गैर कानूनी करार दिए जाने की व्याख्या (इंटरप्रेटेशन) को ठीक मान लें तो दिल्ली सरकार को पंगु बनाने का काम करेगा।

उपमुख्यमंत्री ने दोनो दानिक्स अधिकारी के निलंबन के हालात का जिक्र चिट्ठी की शुरुआत में किया है। उसमें लिखा है कि एक कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए कैबिनेट ने सरकारी वकील की फीस बढ़ाने का फैसला पहली बार 1 सितंबर, 2015 को किया।
उपराज्यपाल को भी भेजा गया। उन्होंने फीस वृद्धि पर असहमति नहीं जताई बल्कि दिल्ली कैबिनेट की शक्ति पर 21 मई की अधिसूचना का हवाला देकर सवाल उठाए। जो अभी कोर्ट में है।

उपराज्यपाल ने पुनर्विचार के लिए भेजा जिसे फिर 23 दिसंबर को स्वीकृत किया गया। इसे लागू करने के गृहमंत्री ने लिखित पर मौखिक आदेश दोनो विशेष सचिवों को दिए लेकिन नहीं माना। ऐसे में निलंबित करने के अलावा गृहमंत्री के पास कोई रास्ता नहीं था।

एन सी आर खबर ब्यूरो

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