16 जनवरी को माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी स्टार्ट अप इंडिया, स्टैंड अप इंडिया के तहत कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएँ कर सकते हैं।
मूलतः इस योजना से स्टार्ट अप कंपनियों को बहुत फायदा पहुँचने की उम्मीद है।
स्टार्ट अप कंपनियाँ होती क्या हैं। क्या हर नयी कंपनी को स्टार्ट अप कहा जा सकता है?
ऐसा नहीं है। एक उदाहरण देता हूँ। एक व्यस्त बाजार मे बहुत सारे रेस्टोरेन्ट होते हैं। मान लीजिये एक नया रेस्टोरेन्ट उसी बाजार मे खुलता है। तो वो स्टार्ट अप नहीं कहलाएगा।
लेकिन कोई उद्यमी पहली बार एक मोबाइल एप्प बनाता है जिससे आप घर बैठे आस पास के रेस्टोरेन्ट के मेनू देख सकते हैं, खाना ऑर्डर कर सकते हैं, कीमतें कंपेयर कर सकते हैं, खाने की गुणवत्ता की रेटिंग देख सकते हैं। विभिन्न ग्राहकों के अनुभव पढ़ सकते हैं तो ऐसे कारोबार को शुरू करने वाली कंपनी स्टार्ट अप कहलाएगी।
फेसबुक, गूगल कभी ऐसी ही स्टार्ट अप थीं। इन स्टार्ट अप की खासियत ये भी होती है की ये एक या कुछ लोगों के द्वारा शुरू की जाती हैं। बहुत कम पूंजी से शुरू होती हैं। लेकिन इनमे करोड़ो अरबों की कंपनी बनने का दम होता है। विस्तार के लिए इनको फंडस की जरूरत होती है।
एक कंपनी जिसमे कुछ लाख लगे होते हैं, कुछ लोग काम कर रहे होते हैं, लेकिन उसके पास ऐसी तकनीक है जो दुनिया बदल सकती है। और उसे बहुत बहुत पैसो की जरूरत होती है।
ये पैसा आता है, वेंचर कैपिटल फर्म से, एंजल इन्वेस्टर से। मिलियन और बिलियन डालर मे।
जैसे फ्लिप कार्ट को मिला, ओला को मिला।
सवाल है की ये फंडस डालर मे क्यों है? डालर देने वाली कंपनियाँ विदेशी क्यों है? भारत का क्या योगदान है?
यूं भारत मे भी बहुत सी स्टार्ट अप पिछले दस सालों मे शुरू हुई। विदेशों से पैसा भी आना शुरू हुआ।
लेकिन तब यूपीए की सरकार थी। 2013 मे कांग्रेस सरकार ने इस फंडिंग को विंड फाल गेन माना। इन्कम माना और इस पर टैक्स लगा दिया। 30 प्रतिशत टैक्स।
जो पैसा स्टार्ट अप को रिसर्च, तकनीक को विकसित करने, मार्केट बनाने, युवाओ को रिक्रूट करने के लिए मिला था। कांग्रेस सरकार ने उस पर टैक्स लगा दिया।
नतीजे मे ऐसी सारी स्टार्ट अप पलायन करने लगी। 65% कंपनी भारत से विस्थापित होकर सिंगापूर, ब्रिटेन, अमेरिका चली गईं। आज अमेरिका मे एक तिहाई नए रोजगार ऐसी ही स्टार्ट अप कंपनीया देती हैं।
भारत का नुकसान न जाने कितने देशों का फायदा बना।
हम पिछले कुछ सालों से बिलख रहे हैं की सारे नए इनोवेशन विदेश मे क्यों, सारी नयी तकनीक विदेश मे क्यों बनती हैं। भारत का क्या योगदान है।
हमें अपने देश की सरकारो की नीति भी देखनी चाहिए। ऐसे माहौल मे कौन कंपनी कुछ कर के दिखा पाएगी।
पूरी उम्मीद है की मोदी सरकार स्टार्ट अप मे निवेश पर लगे इस टैक्स को हटा देगी। रिसर्च और तकनीक डेवलप करने पर टैक्स मे और छूट देगी।
देशी इन्वेस्टर को भी ऐसी स्टार्ट कंपनियों मे पैसा लगाने पर सरकार कुछ छूट का ऐलान कर सकती है।
लोग ये भी कहते हैं की बीजेपी और कांग्रेस की आर्थिक नीतियाँ एक जैसी हैं।
अंतर ऐसे आता है। मैं मोदी सरकार की इस पहल का मुक्त कंठ से प्रशंसा करता हूँ।
दो दिन पहले ही मोदी सरकार ने रक्षा खरीद मे भारतीय मीडियम और समाल स्केल कंपनियों से खरीद पर ढेरो प्रोत्साहन की घोषणा की है। एक निश्चित अनुपात मे रक्षा खरीद को ऐसी कंपनियो से खरीदना जरूरी किया है।
और सबसे बेहतर ये किया है की ऐसी कंपनियों को तकनीक विकसित करने के लिए 10 करोड़ तक की मदद का ऐलान किया है।
बहुत कुछ बदलेगा। मुझे भरोसा है
शरद श्रीवास्तव