उच्चतम न्यायालय के इनकार के बाद किशोर न्याय कानून विधेयक पारित कराने की मांग तेज

सोलह दिसंबर 2012 के बहुचर्चित नृशंस सामूहिक बलात्कार कांड के किशोर अपराधी की रिहाई के विरूद्ध याचिका के उच्चतम न्यायालय से खारिज होने के बाद आज संसद और उसके बाहर उस विधेयक को कल ही पारित कराने की मांग तेज हो गयी जिसमें किशोरावस्था की आयु को 18 से घटाकर 16 वर्ष :रिपीट 18 से घटाकर 16 वषर्: करने की बात कही गयी है।
सरकार ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन कल राज्यसभा के सामने आएगा जो लोकसभा से पहले ही पारित हो चुका है। दरअसल किशोर अपराधी की रिहाई के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन जारी है। किशोर न्याय अधिनियम में संशोधन से जघन्य अपराधों में लिप्त 16-18 वर्ष के किशोरों पर बालिग की तरह ही अदालती कार्यवाही की बात कही गयी है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘सरकार इस किशोर विधेयक को पारित कराने को बहुत इच्छुक है ’’ । दरअसल इस विधेयक को तेजी से पारित कराने की मांग राज्यसभा में उठी है। संसद का सत्र बुधवार को समाप्त होगा।
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि उन्होंने राज्यसभा के सामान्य कामकाज को रोककर किशोर न्याय :बाल देखभाल एवं संरक्षण: अधिनियम, 2014 में पर चर्चा के लिए नियमावली 267 के तहत नोटिस दिया है।
उन्होंने कहा कि सदन के पास केवल तीन दिन हैं और सरकार द्वारा तय एजेन्डा में व्यवसायिक अदालतें, पंचाट और संपत्ति विधेयक शामिल है।
उन्होंने शून्यकाल के दौरान कहा कि सरकार ने किशोर न्याय विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए आज सूचीबद्ध भी नहीं किया।
ओ ब्रायन ने कहा, ‘‘बाहर जो चल रहा है, उसे सुनना सदन का काम है। ’’ उन्होंने सदन से राजनीति से उपर उठने का आह्वान करते हुए कहा, ‘‘यह परिपूर्ण विधेयक तो नहीं है लेकिन हम इसे सूचीबफ् करें और पारित करें।’’