लालू जी नौटंकी छोड़िये और अपने गिरेबान में झांकने की जहमत उठाइए : आर के सिन्हा
आर के सिन्हा । फेसबुक से । आरजेडी प्रमुख लालू यादव सत्ता हथियाने के लिए इस तरह बेचैन हैं कि अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर रोज चौगुनी होती लोकप्रियता से भी लालू जी की बेचैनी बढ़ी हुई है। खुद कहते हैं कि गोमांस वाला बयान देते वक्त उनके दिमाग में शैतान घुस आया था। और जब नरेन्द्र मोदी जी ने सवाल उठाया कि आखिर शैतान को लालू का ही एड्रेस क्यों मिला, तो लालू बेतरह बौखला गए। बौखलाहट में फिर कुछ का कुछ बोल रहे हैं। वैसे, पीएम की रैली के पूर्व ही उन्होंने प्रेस कांफ्रेस करके अनाप-शनाप बयानबाजी कर दी। आरक्षण के मुद्दे को उन्होंने डूबते को तिनके का सहारा की तरह कसकर पकड़ रखा है। मंशा यह कि इस मुद्दे पर पिछड़ी जाति को बरगलाकर किसी तरह चुनाव की बैतरणी पार कर ली जाए। लालू जी जमाना बदल चुका है। पिछड़ों की रहनुमाई का जो मुखौटा आपने पहन रखा है, तथ्यों के सामने वह बेनकाब हो चुका है।आरक्षण का लाभ दिलवाया। आपके शासनकाल के दौरान सरकारी नौकरियों में पर्याप्त रिक्तियों के बावजूद नियुक्तियां क्यों नहीं हुईं। बीपीएससी परीक्षा इस कदर अनियमित रही कि क्या अगड़े क्या पिछड़े किसी को भी इसका लाभ नहीं मिल पाया। आपको अगर पिछड़ापन दूर करने की चिंता सचमुच होती तो शायद आप लफ्फाजी छोड़कर मंडल आयोग की सिफारिशों का लाभ पिछड़े वर्ग को दिलवाने की कोशिश करते। जनता आपसे यह भी सवाल कर रही है कि यदुवंशियों के शुभचिंतक होने का ढोल पीटने के अलावा आपने यादवों के हित में कौन सा कदम उठाया। अगर आपको यदुवंशियों की मर्यादा का जरा-सा भी ख्याल रहता तो शायद कोई भी शैतान आपके मुंह से गोमांस खाने वाला बयान नहीं दिलवा पाता। अब तो यदुवंशियों को भी यह सवाल परेशान कर रहा है कि आखिर लालू प्रसाद किस तरह के यादव हैं- किसनौत हैं, मझनौट हैं, गोरैया हैं या घोसी। यादव समाज किसी गड़ेरिया को अपनी जाति का मानने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि केवल वच्चों की शादी यादव में कर देने से कोई स्वघोषित यादव उनके समाज का हिस्सा नहीं बन सकता। जनता आपको हकीकत के आइने में उतार चुकी है। इसीलिए नौटंकी छोड़िये और दूसरे पर आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकने की जहमत उठाइए।