पंचायत चुनाव में आरक्षण पर यूपी सरकार को राहत

ग्राम पंचायत चुनाव को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने पंचायत चुनाव में किए गए आरक्षण को सही करार देते हुए इसके खिलाफ दाखिल सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
अदालत ने कहा कि आरक्षण रोटेशन से करने के बजाए शून्य से प्रारंभ करने का सरकार का निर्णय उचित है। सूबे की बढ़ी आबादी और उसके हिसाब से किए गए परिसीमन को दृष्टिगत रखते हुए नए सिरे से सीटों को आरक्षित करने का निर्णय सही है। याचिकाओं पर मुख्य न्यायमूर्ति डा. डीवाई चंद्रचूड और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने सुनवाई की।
संत कबीर नगर के संतराम शर्मा सहित तमाम लोगों ने याचिकाएं दाखिल कर आरक्षण लागू करने के तरीके पर सवाल उठाए। कहा गया कि सरकार ने गलत तरीके से रोटेशन लागू कर दिया है।
संविधान के अनुच्छेद 243 डी में ग्राम पंचायतों में आरक्षण रोटेशन के आधार पर लागू करने की व्यवस्था है। सरकार ने पंचायत राज एक्ट की नियमावली में संशोधन करते हुए नए सिरे से आरक्षण का रोटेशन लागू करने का निर्णय लिया है। इससे तमाम ग्राम पंचायतों में आरक्षण को लेकर गड़बड़ी हो गई।प्रदेश सरकार की दलील थी कि ग्राम पंचायतों का चुनाव 2011 की जनगणना के आधार पर हो रहा है। नए सिरे से परिसीमन करने के कारण हजारों गांवों का विलय दूसरी ग्राम पंचायतों में हो गया।
कई नई ग्राम पंचायतें बन गई। इसकी वजह से आरक्षण का रोटेशन बदलना भी आवश्यक हो गया है। ग्राम पंचायतों का आरक्षण नए सिरे से करने के अलावा सरकार के पास विकल्प नहीं है।
दो दिन चली बहस के बाद खंडपीठ ने फैसले देते हुए कहा कि अनुच्छेद 243 ओ के तहत अदालत को परिसीमन आदि के कार्य में हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह एक बहुत बड़ी व्यवस्था है। छोटी मोटी त्रुटि के कारण आरक्षण की इस नीति को गलत नहीं कहा जा सकता है।