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गर्व से कहो “योग” हिन्दू (सनातन) संस्कृति का अभिन्न अंग हे -नवीन वर्मा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के प्रयास से भारतीय सनातन संस्क्रति के अभिन्न अंग “योग” को वैश्विक मान्यता मिली है और 21-जून का दिन “योग दिवस” के रूप में मनाया जा रहा है. सभी को प्रेरित किया जा रहा है कि – वे 21 जून को सामूहिक रूप से योग करें. ज्यादातर लोग इसके लिए तैयार हैं मगर कुछ लोगों ने इसका बहिष्कार करने का फैसला किया है.

इस बात से निराश अथवा आक्रोशित नहीं होना चाहिए. पौराणिक समय से ही योग और भोग की संस्क्रति चलती रही है. योग पर चलने वाले मनुष्य देवत्व को पा लेते थे और भोग पर चलने वाले लोग राक्षस कहलाते थे. बैसे भी हमारी लोक कथाओं में कहा गया कि – “सीख बाको दीजिये जाको सीख सुहाय, सीख न दीजे बानरा घर वया को जाए”

योग, प्राणायाम, आयुर्वेद, आदि केवल स्वास्थ्य रक्षक उपाय मात्र ही नहीं है बल्कि यह हिन्दू (सनातन) संस्क्रति का अभिन्न अंग है. योग कोई कसरत नहीं है बल्कि शरीर के प्रत्येक अंग को मजबूती प्रदान करने की याध्यात्मिक युक्ति है. प्राणायाम भी साँसों का व्यायाम नहीं है बल्कि आत्मा परमात्मा को एकाकार करने का उपाय है.

इसी तरह आयुर्वेद भी केवल दवाइयों के फार्मूलों का नाम नहीं है, बल्कि मानव जीवन को नियमित और नियंत्रित करने का महाविज्ञान है. हम क्या, कब और कैसे खाएं – पिए, अपनी दिनचर्या कैसी रखे, ईश्वर द्वारा प्रादान किये शरीर की कैसे सम्हाल करें, आत्मा परमात्मा को जाने, आदि सब सीखने और समझने का माध्यम है योग.

इन सभी शारीरिक और आध्यात्मिक बिद्याओं का एकीकरण ही योग कहलाता है. योग तन और मन को सशक्त तथा पवित्र रखने का माध्यम है. जो लोग आलस अथवा लापरवाही के कारण योग से दूर हैं हमें उनको योग अवश्य सिखाना चाहिए, लेकिन जो लोग हमारी संस्क्रति से घ्रणा करते हैं , उनको हमें योग सिखाना भी नहीं चाहिए.

हमारे ऋषियों ने हजारों बर्ष के अनुसंधानों के बाद “योग का ज्ञान” हमको दिया है. इसे हमें मुफ्त नहीं लुटाना चाहिए, विशेषकर उन दुर्जनों पर तो बिलकुल नहीं जो हमारे प्राचीन भारतीय ऋषियों मुनियों और ज्ञान की निंदा करते हों. ऐसे लोग यदि खुद योग से दूर रहना चाहते हैं तो उनको समझाने में अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करनी चाहिए.

अभी हमारे लोगों ने सभी के हित को ध्यान में रखते हुए सारे विश्व को योग की शिक्षा देने की बात की है. इतना वेशकीमती ज्ञान दुनिया को मुफ्त देने का काम केवल भारतीय ही कर सकते है. लेकिन इसके बाबजूद जो लोग “योग” का बिरोध कर रहे हैं उनको उनके हाल पर छोड़कर हमें योग को सीखने और समझने पर ध्यान देना चाहिए.

एन सी आर खबर ब्यूरो

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