नई दिल्ली। भूमि अधिग्रहण बिल को लेकर विपक्ष के लगातार विरोध के बावजूद केंद्र सरकार ने एक बार फिर सोमवार को लोकसभा में बिल को पेश किया। तृणमूल कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने बिल का विरोध किया।
उधर, राज्यसभा में भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की पूर्ति कंपनी को लोन देने में कायदे-कानून का पालन नहीं करने की सीएजी रिपोर्ट को लेकर जबरदस्त हंगामा हुआ। विपक्ष इस मामले में गडकरी के इस्तीफे की मांग कर रहा है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने पूर्ति कंपनी पर चर्चा को लेकर नोटिस दिया था। प्रश्नकाल में चर्चा की अनुमति नहीं मिलने के बाद कांग्रेस सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। मामले में गडकरी का कहना है कि मेरे ऊपर राजनीति से प्रेरित होकर आरोप लगाए जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि देश के टैक्स प्रणाली में एक बड़ा बदलाव लाने वाले जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स) बिल सोमवार को राज्यसभा में पेश होगा। कांग्रेस इस बिल के खिलाफ है और वह बिल में अड़ंगा लगा सकती है।
कांग्रेस की मांग रही है कि इस बिल को स्थायी समिति के पास भेजा जाए। हालांकि आगे की रणनीति पर कांग्रेस आज फैसला करेगी। एआईएडीएमके भी इस बिल के खिलाफ है। ऐसे में लोकसभा से पास होकर आए इस बिल के राज्यसभा में लटकने के आसार बढ़ गए हैं। यह एक संविधान संशोधन बिल है इसलिए राज्यसभा में भी इस बिल को दो तिहाई बहुमत से पास होना जरूरी है। मालूम हो कि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है।
जीएसटी बिल को संसद से पारित कराने के बाद देश के सभी राज्यों में से आधे से ज्यादा राज्यों की विधानसभाओं में भी मंजूरी लेनी होगी।
ये अलग-अलग टैक्स ख़त्म कर उनकी जगह एक ही टैक्स प्रणाली लागू करने के लिए है।
-जीएसटी लागू होते ही केंद्रीय बिक्री कर, उत्पाद, लगजरी, मनोरंजन, वैट जैसे अलग-अलग केंद्रीय और स्थानीय कर खत्म हो जाएंगे।
-इससे पूरे देश में एक उत्पाद पर लगभग एक जैसा ही टैक्स लगेगा।
-इसके लागू होने के बाद कर का बराबर हिस्सा केंद्र और राज्यों को मिलेगा।
-जीएसटी को अप्रैल 2016 से से सरकार लागू करना चाहती है, हालांकि इस पर अभी आम सहमति नहीं बन पाई है।
-बिल को प्रवर समिति को भेजना चाहती है कांग्रेस
-राज्यों को आशंका कि उन्हें पहले से कम टैक्स मिलेगा
-27% से ज्यादा जीएसटी चाहते हैं राज्य
-पेट्रोल डीजल को जीएसटी से बाहर रखना चाहते हैं कुछ राज्य