कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी का ‘एंग्री यंगमैन’ अवतार संसद में लगातार तीसरे दिन दिखा। लोकसभा में न्यूट्रैलिटी का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार नेट इंटरनेट को उद्योगपतियों में बांट देना चाहती है।
राहुल ने मांग की कि ट्राई के फैसले को रोकना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार सभी को इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए या तो कानून में बदलाव करे या नया कानून बनाए। उल्लेखनीय है दूरसंचार नियामक संस्था ट्राई ने आम लोगों से न्यूट्रैलिटी या नेट तटस्थता पर राय मांगी है।
ट्राई ने एक प्रस्ताव तैयार किया है और लोगों से पूछा है कि टेलीकॉम कंपनियों को हो रहे घाटे के मद्देजनर व्हाट्सएप जैसी ओवर द टॉप सेवाओं के लिए क्यों न अतिरिक्त शुल्क वसूला जाए?
ट्राई ने एक ऐसे बिजनेस मॉडल का सुझाव दिया है, जिसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को विशेष शुल्क देकर कोई वेबसाइट उपभोक्ताओं तक आसानी से पहुंच सकती है। टेलीकॉम कंपनियां सर्चिंग में उन्हें वरीयता देंगी और जो वेबसाइट शुल्क नहीं देंगी, उन्हें एक्सेस करना बहुत कठिन होगा।
राहुल ने कहा कि ट्राई के प्रस्ताव के विरोध में 10 लाख लोगों ने मेल किया है। राहुल के आरोपों के जवाब में दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार न कभी कॉर्पोरेट के दबाव में रही है और न रहेगी।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि केंद्र सरकार भी ये मानती है कि इंटरनेट सभी का है।
राहुल के बयान पर पलटवार करते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष आज नेट न्यूट्रैलिटी की बात कर रहे हैं, लेकिन हम ये भी जानना चाहेंगे कि यूपीए सराकर ने क्यों और कैसे 2012 में कई लोगों के टिवटर हैंडल ब्लॉक कर दिए थे।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि हमारी सरकार युवाओं के इंटरनेट के अधिकार का समर्थन करती है।