आम आदमी पार्टी में अंदरूनी कलह और उठापटक तेजी से बढ़ रही है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव से अनबन की वजह से राष्ट्रीय संयोजक पद से इस्तीफे की पेशकश कर डाली थी। प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव संसदीय कार्य समिति में नहीं रहना चाहते , यह उन्होंने साफ तौर पर कह भी दिया है।
योगेंद्र यादव ने सोमवार सुबह ट्वीट करके इस कलह को प्रमाणित भी कर दिया। उन्होंने लिखा, ‘यह वक़्त बड़ी जीत के बाद बड़े मन से, बड़े काम करने का है। देश ने हमसे बड़ी उम्मीदें लगाई हैं। छोटी हरकतों से खुद को और इस आशा को छोटा न करें।’
पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमिटी को अब इस मामले में सभी पक्षों से बातचीत कर फैसला लेना है। पार्टी के आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास की 25 फरवरी को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और संसदीय कार्यसमिति को भेजी चिट्ठी में भी पार्टी में लोकतंत्र को लेकर कई सवाल उठाए गए हैं। इसमें पार्टी में चल रही गुटबाजी और अंदरूनी कलह का मसला उठाया गया है।
गुरुवार और शुक्रवार को हुई पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में एकतरफ जहां संसदीय कार्य समिति के विस्तार और सुधार को लेकर प्रस्ताव पास किया गया था, वहीं योगेंद्र यादव को पीएसी से हटाने की सिफारिश भी कुछ सदस्यों ने की थी। विधानसभा चुनाव के दौरान प्रशांत भूषण द्वारा उठाए गए सवालों को लेकर भी कुछ लोगों ने आपत्ति जताई थी।
राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने प्रो. आनंद कुमार की अध्यक्षता में परिवहन मंत्री गोपाल राय और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पंकज गुप्ता के साथ 3 सदस्यीय कमिटी बनाकर उसे यह जिम्मा सौंपा था कि वह प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव और अरविंद केजरीवाल से बातचीत कर यह तय करें कि आगे क्या करना चाहिए। उसी के बाद कमिटी के तीनों सदस्यों ने शनिवार को योगेंद्र यादव से और रविवार को प्रशांत भूषण से बातचीत की।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, योगेंद्र यादव ने अरविंद केजरीवाल को पार्टी का राष्ट्रीय संयोजक बनाए रखने का समर्थन किया, वहीं पीएसी में सुधार और बदलाव की जरूरत पर जोर देते हुए यह भी साफ कर दिया है कि वह खुद अब पीएसी में सदस्य के रूप में नहीं रहना चाहते। उन्होंने हरियाणा में कोई बड़ी जिम्मेदारी देने या भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी के द्वारा देशभर में चलाए जा रहे अभियान की अगुवाई करने की इच्छा भी जताई।
प्रशांत भूषण ने भी पीएसी की सदस्यता से हटने की इच्छा जताते हुए कमिटी से कहा है कि अरविंद के कन्वीनर बने रहने में उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन पार्टी में सबको अपनी बात रखने का अधिकार होना चाहिए। विरोध या मतभेद के बावजूद एक-दूसरे की गरिमा बनाए रखनी चाहिए। प्रशांत ने साफ कर दिया है कि उनके पास पीएसी के कामों के लिए अब समय नहीं है। उन्होंने पीएसी में महिला सदस्य को शामिल करने की वकालत की।
प्रो. आनंद कुमार का कहना है कि पार्टी की संसदीय कार्यसमिति में सुधार और बदलाव अब अनिवार्य हो गया है। पीएसी में एक महिला सदस्य को शामिल किया जाना तय माना जा रहा है, क्योंकि दिल्ली से 6 महिला विधायकों के चुने जाने के बावजूद सरकार में एक भी महिला को जगह नहीं दी गई है। पार्टी के अंदर एक बड़ा धड़ा योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण से नाराज है, जिसमें अरविंद केजरीवाल भी शामिल हैं। योगेंद्र और प्रशांत तवज्जो न मिलने से दुखी हैं।